मृगासन
इस आसन में साधक की आकृति या मुद्रा मृग (हिरन)
जैसी होती है इसी कारण इस आसन को मृगासन कहते है|
विधि :
वज्रासन की मुद्रा की तरह अपनी टांगो को मोड़ कर
घुटनों के बल बैठ जाएँ| इसके पश्चात अपने सिर को आगे की तरफ झुका दें और अपने हाथों तनाकर पीछे की
तरफ कर दें| नजरें बिल्कुल
सामने की तरफ रखें| साँस को खींचकर अपने नितम्बों को एड़ियों से ऊपर उठाने का प्रयास करें, ऐसी
अवस्था बना ले की आपके शरीर का सारा वजन आपके घुटनों पर आ जाए| इस दौरान अगर समस्या आती
है तो अपने नितम्बों को एड़ियों पर रख लें और हाथों को आगे करके शरीर को सीधी
अवस्था में ले आयें| अब साँस को छोड़ कर सामान्य अवस्था में बैठ जायें|
मृगासन के लाभ :
1.
इस आसन द्वारा बाँहों, टांगों और कन्धों के रोग ठीक किये जा
सकते है और घुटनों के सामर्थ्य को भी बढ़ाया जा सकता है|
2.
फेफड़ों का विकास होता है और मजबूती मिलती है|
3.
शरीर में हल्कापन, सुन्दरता, तेज दक्षता और स्फूर्ति लाने
में यह बहुत ही लाभदायक है|
4.
कंधे, छाती और पीठ को पुष्ट बनाने के लिए मृगासन बहुत
फायदेमंद साबित होता है|
5.
इस आसन से पेट को बहुत लाभ मिलता है अफारा और पेट की वायु
से छुटकारा मिलता है|
6.
इससे शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम किया जा सकता है और पाचन
क्रिया में सुधार होता है|
7.
गठिया रोग को भी ठीक किया जा सकता है|
8.
मृगासन का नियमित रूप से अभ्यास करने से मधुमेह रोग को भी
दूर किया जा सकता है|
9.
नितम्बो को सुडौल बनाया जा सकता है और कमर को पतला और
सुन्दर बनाया जा सकता है व सीने की चौड़ाई भी बढाई जा सकती है|
10.
पुरुषों के यौन सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए यह आसन बहुत
लाभकारी है|
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