सिंहासन
इस आसन में शरीर की मुद्रा सिंह की तरह होती है
इसी कारण इस आसन को सिंहासन कहा जाता है|
विधि :
समतल ज़मीन पर दरी, कम्बल या चटाई बिछा लें और
घुटनों को मोड़कर पैरों को पीछे की तरफ करके बैठ जायें| अंगूठों और तलवों का कमान
बनाकर शरीर का वजन उन पर रख दें तथा एड़ियों को नितम्भों के नीचे कर दें| कुछ लोगों को अंगूठों और
तलवों का कमान बनाने में समस्या होती है उन्हें सुविधानुसार ही बैठ जाना चाहिए| इसके अलावा एड़ियों का कमान
बनाकर भी बैठ सकते है| शरीर को तान कर बिल्कुल सीधा रखें तथा सिर, गर्दन व रीढ़ एक सीध में होने
चाहिए| नजर सामने की तरफ
रखें और हथेलियों को घुटनों पर रख दें| सामान्य रूप से साँस ले यह मुद्रा सिंहासन की
मुद्रा होती है|
अभ्यास :
नाक से और मुंह से साँस छोड़ते हुए अपनी जीभ को
धीरे धीरे बाहर निकालते जाएं| इस दौरान कोई जल्दी ना करते हुए धीरे धीरे इस प्रक्रिया को
करें| जीभ को पूर्ण रूप
से बाहर निकालते समय साँस को भी पूरी तरह से बाहर निकाल दें| अब साँस को पूर्ण रूप से
रोकते हुए अपने दोनों हाथों की उंगलियों और शरीर को कड़ा करते हुए अपनी आँखों को
सिंह की तरह डरावनी मुद्रा में फैला दें| इस मुद्रा में 6 से 8 सेकंड तक बने रहें इसके
बाद साँस को खींचते हुए जीभ को अन्दर ले जाए और शरीर को ढीला छोड़कर इसी अवस्था में
आराम करें | थोड़ी देर विश्राम
करके इस आसन को फिर से दोहराएं |
दैनिक अभ्यास :
शुरुआत में एक सप्ताह तक इस आसन का अभ्यास
प्रतिदिन दो बार करना चाहिए| इसके बाद दूसरे सप्ताह प्रतिदिन चार बार अभ्यास करना चाहिए| एक बार अभ्यास के दौरान
सिर्फ दो बार ही क्रिया करनी चाहिए इसके बाद लगभग 8 घंटे का आराम लेना चाहिए|
सिंहासन के लाभ:
सिंहासन के कुछ लाभ बहुत ही विशेष है इसी कारण
इस आसन का महत्व और भी बढ़ जाता है इसके कुछ महत्वपूर्ण लाभ इस प्रकार है :
1.
सिंहासन गले की तकलीफ, आवाज़ की खराबी और टांसिल सूजन को
खत्म करने में औषधि के रूप में काम करता है|
2.
श्वसन संस्थान पर भी इसका प्रभाव बहुत लाभ देता है|
3.
स्वर यंत्र ( लैरिंज ) साँस नली और उसके सभी उपकरणों को
संचालित करने में सहायक है|
4.
इस आसन द्वारा चुल्लिका ग्रंथि (थाईराइड ) को मजबूती प्रदान
की जाती है और उसकी आंतरिक सक्रियता में गड़बड़ी भी दूर की जा सकती है|
5.
सिंहासन से मुंह व आँखों के आस पास की झुर्रियों को दूर
किया जा सकता है|
6.
गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत बनाया जा सकता है|
7.
इस आसन द्वारा मुंह के आन्तरिक भागों का भी व्यायाम संभव है
और आवाज़ साफ व सुरीली की जा सकती है|
8.
सिंहासन से पाचन क्षमता में सुधार किया जा सकता है|
9.
इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास करने से मुड़े हुए पैर भी
सीधे किये जा सकते है| इसके अलावा इस आसन द्वारा पैरों का रक्त संचार तेज हो जाता है जिससे पैरों को
मजबूत बनाया जा सकता है|
10.
इस आसन से चेहरे की झुर्रियां ख़त्म हो जाती है तथा चेहरे व
गले का रक्त संचार ठीक रहता है| चेहरे व गर्दन की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है|
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