ज्यादातर लोग सोते समय गर्दन के नीचे तकिया लगा
लेते है क्योंकि उन्हें बचपन से इसकी आदत पड़ी हुई है | तकिये के बिना शायद कुछ
लोगो को अच्छी नींद नहीं आती है | हालाँकि इस आदत की लत लगने से पहले आपको इसके
बारे में कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जान लेना चाहिए | अक्सर जो तकिया हम गर्दन
या मुंह के पास लगाकर सोते है इसमें कीटाणु होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है |
इस संबंध में ज्यादातर लोगो का यही मानना है कि
रात को सोने के लिए तकिये का इस्तेमाल जरुर करना चाहिए क्योंकि यह अच्छी नींद लेने
के लिए आवश्यक है | लगभग 70 प्रतिशत लोगो के विचार इस सम्बन्ध में एक समान है |
लेकिन इस बारे में एक बात पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए कि जिस तकिये को आप
लगातार ज्यादा समय तक इस्तेमाल करते हो उसे बदलना भी जरूरी हो जाता है क्योंकि एक
ही तकिये को रोजाना इस्तेमाल करने से उसपर गंदगी जमने के कारण कीटाणु आपके
स्वास्थ्य पर कभी भी आक्रमण कर सकते है |
इस सम्बन्ध में विशेषज्ञ के अनुसार लगभग 5 या 6
महीने बाद पुराने तकिये को अलविदा कहकर नए तकिये का इस्तेमाल शुरू कर देना चाहिए |
अगर यह भी संभव नहीं हो तो कम से कम साल भर के अन्दर तो एक नए तकिये का इस्तेमाल
करना ही चाहिए | तकिये के सम्बन्ध में वेबएमडी नामक हेल्थ साइट द्वारा सलाह दी गयी
है कि तकिये या गद्दे के प्रयोग से हमारे जीवन में लगभग 5 से दस साल का अंतर होने
की सम्भावना हो सकती है |
कुछ लोग तकिये के इस्तेमाल को लेकर बातों को
इग्नोर कर देते है और बाद में उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है | गद्दे का
इस्तेमाल हम चार या पांच सालों तक कर सकते है लेकिन तकिये के मामले में हमें हर छह
महीने बाद बदलाव करना चाहिए |
तकिये की सफाई और इसमें बदलाव इसलिए करना जरूरी
होता है क्योंकि आप इस पर अपना मुंह रखकर सोते है जबकि उचित सफाई ना होने के कारण
तकिये पर अनेक तरह के कीटाणु और गंदगी जमी हुई होती है | इसके अलावा बालों में लगे
तेल, त्वचा की गंदगी के तकिये पर लगने के कारण त्वचा के संक्रमण का खतरा हो सकता
है |
विशेषज्ञ के अनुसार जब आप सोकर सुबह उठते है और
दिन भर तकिया ऐसे ही पड़ा रहता है तो उस पर विभिन्न प्रकार के कीटाणुओं घूमते रहते
है जो आपको सूक्ष्म होने के वजह से दिखाई भी नहीं देते है | इसीलिए अधिक समय तक
इसे इस्तेमाल करने से कीटाणुओं की संख्या भी बढ़ती जाती है जो कभी भी आपको अपनी
चपेट में ले सकती है | ज्यादा समय तक पड़े रहने से तकिये पर धूल के कण भी जमने लगते
है जिसके कारण तकिये का वजन सामान्य से ज्यादा होने लगता है |
दिनभर
में तकिये पर बैठी मखियों और अन्य कीटाणुओं के अलावा तकिये में जमा होने वाले धूल
कण भी आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकते है | जिन लोगो को धूल व
कीटाणुओं से परेशानी या एलर्जी है उनके लिए तो ऐसे तकिये का इस्तेमाल बिमारियों को
न्यौता देने के समान होता है | हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार 20 प्रतिशत से
ज्यादा लोगो को इसी प्रकार के तकिये का प्रयोग करने से एलर्जी की समस्या होती है |
धूल
के कणों से आपको ज्यादा गंभीर समस्या जैसे डीएमए आदि गंभीर बीमारी होने की ज्यादा
सम्भावना नहीं रहती है लेकिन फिर भी आपको तकिये का इस्तेमाल ज्यादा समय तक नहीं
करना चाहिए | हो सकता है आपको ज्यादा गंभीर समस्या ना हो फिर भी आप गंदगी में सोना
तो पसंद नहीं करेंगे |
रिसर्च
के अनुसार :
हाल
ही में द ब्राट्स और द लंदन एनएचएस ट्रस्ट दवारा किये गए शोध के अनुसार तकिये में
होने वाले वजन का एक तिहाई भाग कीटाणुओं, मृत त्वचा, धूल और कीटाणुओं के मल का होता है | विशेषज्ञों
के मतानुसार सरकारी अस्पतालों के तकिये की स्थिति तो घर के तकिये से कई गुना बेकार
होती है क्योंकि यह अनेकों बिमारियों के मरीज दाखिल होते है और उन तकियों का
इस्तेमाल करते है | अस्पताल के तकियों में एमआरएसए, सी
डिफ, फ्लू, चेचक
और यहां तक कि कुष्ठ रोग के जीवाणु होने की संभावना हो सकती है |
कुछ
लोग तकिये को ना बदल कर उसमे नया कवर (लिहाफ) चढ़ा देते है और समझते है कि उन्होंने
तकिये से गंदगी या कीटाणुओं को खत्म कर दिया है | असल में कीटाणु तो अन्दर ही रह
जाते है और वे लोग जो केवल कवर बदलते है उन्होंने तकिये को नहीं बल्कि उन कीटाणुओं
को कवर चढ़ा दिया है जो तकिये के अन्दर समायें हुए होते है | विशेषज्ञ के अनुसार
तकिये में पनपने वाले कीटाणुओं को खत्म नहीं किया जा सकता और इनसे ई-कोलाई संक्रमण, सांस तथा पेशाब संबंधी परेशानियां होने की
सम्भावना हो सकती है |
इसलिए
हमें किसी भी संभावित बीमारी या संक्रमण से बचने के लिए तकिये को उचित समय पर साफ
करना और बदलना चाहिए | इस तरह से हम अपने शरीर को अनेक प्रकार के संक्रमण और
बिमारियों से बचाने में कामयाब हो सकते है |
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