योगासनों के अनेकों गुण है लेकिन इनका सबसे बड़ा गुण यह है कि इसको कोई भी
सर्वसाधारण व्यक्ति कर सकता है और इसके लिए किसी प्रकार का व्यय करने की जरुरत
नहीं होती है| योगासन करने के लिए
किसी प्रकार के साधनों व् सामग्री की जरुरत नहीं होती इन्हें अकेला व्यक्ति बिना
किसी परेशानी के कर सकता है|
योगासन करने के लिए किसी व्यक्ति पर कोई प्रतिबन्ध या मनाही नहीं होती है चाहे
वह किसी भी उम्र का हो, किसी भी जाति या धर्म से सम्बन्ध रखता हो, ज्यादा पैसे
वाला हो या गरीब परिवार से हो, शिक्षित हो या अशिक्षित हो, प्रत्येक व्यक्ति
योगासन की विधियों का प्रयोग कर सकता है और लाभ प्राप्त कर सकता है|
योगासनों द्वारा शारीरिक व मानसिक शक्ति बढ़ाई जा सकती है| योगासन एक प्रकार का
व्यायाम है है जिससे जो हमारे शरीर के आंतरिक अंगो पर प्रभाव पड़ता है| इससे सभी रोगों का इलाज
संभव है और शरीर के साथ साथ मन को स्वस्थ व शुद्ध करने के लिए भी योगासन किये जाते
हैं|
आसनों में प्रयोग की जाने वाली क्रियाओं से मांसपेशियां तन, सिकुड़ और ऐंठ जाती
है और तनाव व खिंचाव भी दूर हो जाता है, जिनसे शरीर की थकान मिट जाती है| शरीर की थकान दूर होने से
एक नई उर्जा उत्पन्न होती है जिसको मनुष्य अपने अन्य कार्यों में लगा सकता है|
योगासन करने से पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है क्योंकि नियमित रूप से योगासन
करने से पेट साफ़ रहता है और पाचन अंगो को भी मजबूती मिलती है| योगासन शरीर की अतिरिक्त
चर्बी को ख़त्म करके व्यक्ति को तंदरुस्त बना देता है| इसके अलावा योगासनों
द्वारा मेरुदंड – रीढ़ की हड्डी में लचीलापन लाया जा सकता है जिससे नाड़ी शक्ति को
पुन: विकसित किया जा सकता है|
योगासनों को नियमित रूप से करने से शरीर की आन्तरिक ग्रंथियां सुचारू रूप से
काम करती है और यौवन को बनाये रखने के लिए आवश्यक वीर्य को संरक्षित करती है| योगासन शरीर के लिए वरदान
की तरह है क्योंकि इनसे समस्त शरीर को लाभ मिलता है और सभी अंग हमेशा निरोगी रहते
है| योगासन रोगों से हमारे शरीर
को बचाने के अलावा शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करते है|
योगासन से आँखों को बहुत फायदा होता है और इसके निरंतर अभ्यास करने आँखों की
रोशनी में इतनी वृद्धि हो जाती है कि आपको आँखों पर चश्मा लगाने की आवश्यकता नहीं
पड़ती है| स्त्रियों के लिए
तो योगासन और भी महतवपूर्ण है क्योंकि इससे स्त्रियों के सौन्दर्य गुण विकसित होते
है| इनसे स्त्रियों में
सुन्दरता, सम्यक विकास, सघुड़ता और गति सौन्दर्य गुणों का विकास होता है|
जैसा की पहले भी बताया गया है कि योगासनों से शरीर के प्रत्येक अंग व भाग को
लाभ मिलता है इससे शरीर के सभी अंगो को विकसित किया जा सकता है| आसन से शरीर के मुख्य भागो
– स्नायु तंत्र, रक्तभिगमन तंत्र, स्वशोच्छ्वास तंत्र की क्रियाओं के संचालन को सही
ढंग से नियंत्रित रखता है | जिसके कारण शरीर पूर्ण रुप से स्वस्थ रहता है और किसी भी रोग से लड़ने की
शक्ति बनाये रखता है| अगर आप अन्य कोई व्यायाम करते है तो उनसे केवल शरीर के बाहरी अंगों का विकास
होता है लेकिन प्राणायामों द्वारा शरीर के प्रत्येक अंत्य व बाह्य अंगों लाभ मिलता
है|
अन्य आवश्यक बातें :
योग के द्वारा मनुष्य अपनी आत्मा से रूबरू हो सकता है और अपनी मानसिक शक्तियों
का विकास कर सकता है| जिस प्रकार विज्ञान से संबधित क्रियात्मक ज्ञान प्रयोशाला के बिना नहीं दिया
जा सकता उसी प्रकार योग भी हमारे शरीर के लिए एक प्रयोगशाला के समान है| योग विज्ञान की पूर्ण रूप
से प्राप्ति के लिए हमें अपने शरीर रुपी प्रयोगशाला को सुव्यवस्थित करना चाहिए और
उपकरणों का प्रयोग भी कुशलता से करना चाहिए| व्यक्ति को अपने मन में योग के प्रति इच्छा,
श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए तभी उसे योग का पूरा लाभ मिल सकता है|
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