योगासनों द्वारा रोग निवारण :
वर्तमान समय में व्यक्ति बहुत सारे रोगों और बिमारियों से परेशान है कि उनके
जीवन का ज्यादातर समय तो बीमारियों के इलाज में लग जाता है| अगर वह सारा समय अपनी
बिमारियों में फंसकर ही निकाल देगा तो जीवन में तरक्की कब करेगा और अपने ऊपर
आश्रित व्यक्तियों को कब सहारा देगा| संसार में वर्तमान समय में रोगों और बिमारियों
से निपटने के लिए बहुत सी पद्धतियाँ है जिनमे हौम्योपैथी, आयुर्वेदिक,
एलोपैथिक, यूनानी चिकित्सा, जल चिकित्सा और अल्ट्रावायलेट किरणें प्रमुख हैं| इनके अलावा भी दिन
प्रतिदिन नई नई तकनीको की खोज के लगातार प्रयास किये जा रहें है| इन पद्धतियों से रोगों में
आराम तो हो जाता है लेकिन इनसे रोग पूर्ण रूप से रोग ख़त्म नहीं होते है| व्यक्ति को अपने इलाज के
लिए इन पद्दतियों पर बहुत व्यय करना पड़ता है जो एक सामान्य व्यक्ति की हैसियत से
बाहर होता है लेकिन फिर भी उसे मज़बूरी में करना पड़ता है| इसलिए इन पद्धतियों के
बारे में कहा जा सकता है कि ये सामान्य व्यक्ति के लिए उचित नहीं है|
योगासन :
ऊपर दी गयी पद्धतियों के अलावा योगासन भी रोग निवारण करने की अनूठी और विशेष
पद्धति है जिससे थोड़े समय में ही आप अपने सभी रोगों को ख़त्म कर सकते है| योगासनों द्वारा रोग
निवारण करने के लिए आपको किसी प्रकार का खर्च भी नहीं उठाना पड़ता है केवल योगासनों
को नियमित रूप से करने पर तन और मन स्वस्थ और प्रसन्न रहते है
|
रोग और आसन :
1.
पेट की बीमारियाँ : अगर आप पेट की समस्याओं से
ग्रस्त है और दूसरे इलाज लेने से भी आराम नहीं हो रहा है तो इस स्थति में आप
पदमासन, सुखासन, उतानपाद आसन, पवनमुक्त आसन, भुजंग आसन, शलभ आसन, पश्चिमोतानासन
शवासन कर सकते है| इन आसनों को नियमित रूप से करने पर जल्दी ही लाभ मिलता है |
2.
कब्ज : कब्ज का रोग व्यक्ति के विकास को अवरुद्ध करता है जिसके
कारण शरीर के बाकी अंग बहुत कमजोर हो जाते है | इसके इलाज जानुशिरासन, मयूरासन, चक्रासन,
ताड़ासन, भुजंगासन, धनुरासन, सुप्त वज्रासन और मत्स्यासन के द्वारा किया जा सकता है|
3.
नाभि : नाभि से संबधित समस्याओं के लिए नाभि आसन, भुजंग आसन और
धनुरासन बहुत उपयोगी है और बहुत फायदा देते है|
4.
गैस : पेट में गैस की समस्या वर्तमान समय में आम बात हो गयी है
लगभग प्रत्येक व्यक्ति को गैस की समस्या है| इसका इलाज जानुशिरासन, खगासन, वज्रासन,
पवनमुक्तासन का नियमित रूप से करके किया जा सकता है|
5.
दमा : दमे से परेशान व्यक्तियों के लिए शीर्षासन, शवासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन, शलभासन, उष्ट्रा आसन,
सुप्तवज्रासन और उज्जयी प्राणायाम आसन बहुत ही लाभदायक है|
6.
वीर्य रोग : वीर्य सम्बन्धी रोगों के लिए कुछ आसन बहुत ही फायदेमंद
होते है इनमे कुछ आसन इस प्रकार होते है जैसे : सर्वांगासन, वज्रासन, गोमुखासन और
बुद्ध पदमासन|
7.
मासिक धर्म सम्बन्धी रोग : यह रोग महिलाओं हो होता है
और इससे उन्हें बहुत समस्या होती है| महिलाएं इस बीमारी का इलाज करने के लिए
शीर्षासन, धनुरासन, हलासन, शवासन, सर्वांगासन, वज्रासन, भुजंगासन, मत्स्यासन और
शलभासन कर सकती हैं| इससे उनको बहुत आराम मिल सकता है|
8.
बाँझपन : बाँझपन महिलाओं की सबसे बड़ी समस्या होती है जिसके होने से
उनको समाज में कभी भी सम्मान नहीं मिलता है लेकिन सर्वागासन, शीर्षासन,
पश्चिमोतानासन, मत्स्यासन और सुप्तवज्रासन को नियमित रूप से करके बाँझपन की समस्या
का हल निकाला जा सकता है|
9.
कामशक्ति की निर्बलता : दाम्पत्य जीवन की सफल के
लिए सबसे जरुरी तत्व है कामशक्ति (सेक्स)| यदि आप अपनी शारीरिक दुर्बलता या अन्य कारणों
से सेक्स करने में या ज्यादा समय तक करने में असमर्थ है तो आप कुछ आसनों को नियमित
रूप से करके अपनी इस दुर्बलता को दूर कर सकते है और युवाओं जैसा जोश और उत्साह पा
सकते है| इसके लिए आपको
भुजंगासन, पश्चिमोतानासन, शीर्षासन, चक्रासन, सर्वांगासन, कंध्रासंम गरुड़ासन और
वातायनासन नियमित रूप से करने चाहिए और कुछ ही समय बाद आप इसके फायदे स्वयं महसूस
कर सकते है |
10. यौन विकार : यौन विकार होने की स्थिति
में धनुरासन, सर्वांगासन और शीर्षासन रोजाना करने से आराम मिलता है|
11. खून की कमी : व्यक्ति में खून की कमी
होना बहुत बड़ी समस्या है और इससे निपटना बहुत जरुरी होता है इसके लिए आप हलासन,
पश्चिमोतासन, भुजंगासन, शीर्षासन, मत्स्यासन, सर्वांगासन, शलभासन बद्धपद्मासन,
शशांकासन, सर्वांगासन और उष्ट्रासन कर सकते है इनसे आपको निश्चित ही फायदा मिलेगा|
12. तीव्र रक्तचाप : तीव्र रक्तचाप होने की
स्थिति में शशांकासन, पवनमुक्तासन, वज्रासन कर सकते है और समस्या को दूर कर सकते
है|
13. रक्तचाप की कमी : रक्तचाप की कमी होने पर
भुमिवाद, मस्तकासन और वज्रासन करके रक्तचाप की कमी को पूरा किया जा सकता है |
14. हकलाना : इस रोग के कारण व्यक्ति को
व्यवहार में बहुत समस्या और अपमान का सामना करना पड़ता है| इसके इलाज के लिए आपको
नौकासन, सिंहासन, शिर्शापादासन करने चाहिए| इनसे आपको अपनी इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा|
15. मधुमेह : यदि आपको मधुमेह की बीमारी
है और इससे आपके दैनिक क्रियाक्लाप प्रभावित है तो इसके लिए आपको धनुरासन,
मत्स्येन्द्र आसन, सुप्तवज्र आसन, अर्धवक्र आसन, सूर्य नमस्कार आसन, नौकासन करने
चाहियें| इस स्थिति में इनसे
आपको बहुत फायदा होगा और जल्दी ही आपकी बीमारी खत्म हो जाएगी|
16. जुखाम : जुखाम एक गंभीर समस्या है
और इसके उपचार के लिए सर्वांगासन, हलासन और शीर्षासन से बहुत आराम मिलता है|
17. प्रमेह : प्रमेह की समस्या में
सर्वांगासन और हलासन करने से लाभ मिलता है और समस्या जल्दी ही दूर हो जाती है|
18. शक्ति विकास : शरीर में शक्ति को बढ़ाने
के लिए वृश्चिकासन, मयूरासन, दोलासन, चक्रासन आदि करने चाहिए|
19. यकृत रोग : यकृत संबधी रोग होने पर इन
आसनों को करने से बहुत आराम मिलता है और यकृत की सारी समस्याएं दूर हो जाती है| इन आसनों में कुछ इस
प्रकार है जैसे ; हलासन, धनुरासन, मयूरासन, शीर्षासन, भुजंगासन, पश्चिमोतानासन ,
शलभासन बद्धपद्मासन, शशांकासन, सर्वांगासन और उष्ट्रासन|
20. बहरापन : बहरापन बहुत ही गंभीर
समस्या है और इसका इलाज जल्दी ही करना चाहिए| इसके लिए आपको शीर्षासन और सिंहासन जरुर करने
चाहिए| इनके द्वारा बहरेपन
की समस्या का इलाज किया जा सकता है|
21. मानसिक तनाव : मानसिक तनाव मनुष्य की
बहुत बड़ी समस्या है और जब यह समस्या होती है तब व्यक्ति किसी भी काम को ठीक तरह से
नहीं कर पता और ना ही उसका ध्यान किसी काम में लगता है| इस बीमारी को दूर करने के
लिए शीर्षासन, शलभासन, हलासन, वज्रासन, शवान गर्भासन, शशांकासन और सर्वांगासन करने
बहुत जरुरी है|
22. संधिशोध (जोड़ो का दर्द) : जोड़ो के दर्द से व्यक्ति
को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है इस बीमारी में मनुष्य ठीक से उठ बैठ भी
नहीं पाता है इसलिए इसका इलाज करना बहुत आवश्यक है और इसका इलाज संतुलन आसन,
त्रिकोणासन, गौमुखासन, सिद्धासन, नटराज आसन, वृक्षासन, वीरासन और सेतुबन्ध आसन
द्वारा संभव है|
23. कमर दर्द : जब व्यक्ति पर काम का
ज्यादा बोझ हो तो उस समय में कमर दर्द की परेशानी हो सकती है इसके इलाज के लिए
चक्रासन, धनुरासन, हलासन, भुजंगासन, वृक्षासन, मयूरासन, शशांकासन, उष्ट्रासन,
मत्स्यासन, गौमुखासन, वज्रासन, सुखासन, पध्मासन, त्रिकोणासन और नौकासन आदि करने से
आराम मिलता है
24. सिर की बीमारियाँ : सिर की बिमारियों से
छुटकारा पाने के लिए सर्वागासन, चंद्रासन और शीर्षासन करने से राहत मिलती है|
25. नेत्र रोग : मनुष्य को नेत्र विकार
होने पर इसके साथ दूसरी समस्याएं भी झेलनी पड़ती है| नेत्र रोग विकार के इलाज
के लिए सर्वांगासन, उर्ध्वसर्वंगासन, शीर्षासन और भुजंगासन करने चाहिए|
26. अनिंद्रा : किसी कारणवश जब व्यक्ति को
नींद नहीं आती है तब अनिंद्रा की समस्या उत्पन्न हो जाती है| अनिंद्रा का रोग होने पर
इसका इलाज शीर्षासन, योगनिन्द्रा, शीतली व शितकारी प्राणायाम, सर्वांगासन और हलासन
से किया जा सकता है|
27. गठिया : गठिया रोग होने की स्थिति
में पवनमुक्तासन, पश्चिमोतानासन, धनुरासन, त्रिकोणासन, जानुशिरासन, पर्वतासन,
गौमुखासन और अर्धमत्स्येन्द्रासन करने से आपको निश्चित ही फायदा मिलता है
28. मोटापा : मोटापे की समस्या से भी
समाज का बहुत बड़ा वर्ग पीड़ित है मोटापे की समस्या होने से समाज में शर्मिंगी के
साथ स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है इसलिए इस समस्या का इलाज करना बहुत आवश्यक
है| इसका उपचार करने के लिए धनुरासन,
पश्चिमोतानासन , त्रिकोणासन, हलासन, शलभासन, सर्वांगासन, पाह्द्स्तासन, नाड़ीशोधन
प्राणायम, लोलांगुलासन और उद्दियानाबंध आसन करने चाहिए|
29. गले सम्बन्धी रोग : गले सम्बन्धी रोग
शीर्षासन, सर्वांगासन, हलासन, सिंहासन, चंद्रासन, भुजंगासन, सुप्तवज्रासन और
मत्स्यासन करने से तुरंत आराम मिलता है|
30. बवासीर, गुद्दा भगंदर : बवासीर व गुद्दा भगदर के
रोग मनुष्य को बहुत ही पीड़ा देते है| इनका इलाज करने के लिए सुखासन, सर्वांगासन,
जानुशिरासन, उतान्पाद आसन, चन्द्र नमस्करासन, उष्ट्रासन, भद्रासन, सिद्धासन,
गौमुखासन और पश्चिमोतानासन करने चाहिए|
31. जन्घारोग : जंघारोग होने पर
पश्चिमोतानासन, सर्वागासन, जानुशिरासन करने से बहुत आराम मिलता है|
32. बुद्धि विकृति : मनुष्य को बुद्धि सम्बन्धी
विकार होना बहुत घातक होता है इसका इलाज जल्दी ही कर लेना चाहिए नहीं तो अन्य
भयंकर विकार होने की सम्भावना हो सकती है | इसके इलाज या उपचार के लिए शीर्षासन और
उर्ध्वसर्वंगासन बहुत महत्वपूर्ण आसन है| इनको नियमित रूप से करने से निश्चित ही फायदा
मिलता है|
33. पीठ दर्द : पीठ दर्द होने पर
भुजंगासन, सुप्तवज्रासन, धनुरासन, शशांकासन, गौमुखासन और पश्चिमोतानासन करके
परेशानी दूर की जा सकती है|
34. पैर सम्बन्धी रोग : पैर सम्बन्धी रोग ,होने पर
आराम पाने के लिए वज्रासन, गरुड़ासन, वीरासन, पदमासन, पर्वतासन, हनुमानासन और
कन्धरासन आदि को नियमित रूप से करें|
35. रीढ़ की हड्डी के लिए : रीढ़ की हड्डी में परेशानी
होने पर व्यक्ति के लिए चलना फिरना भी बहुत मुश्किल हो जाता है इसके इलाज के लिए
वृश्चिकासन शशांकासन, हलासन, धनुरासन, चक्रासन, त्रिकोणासन, भुजंगासन, शीर्षासन,
उष्ट्रासन और पश्चिममोतानासन करने चाहिए|
36. साइटिका : साइटिका रोग होने पर
गौमुखासन, हनुमानासन, और वज्रासन करने से लाभ मिलता है|
37. आंत्र वृद्धि : आंत्र वृद्धि रोग होने की
स्थिति में सर्वांगासन और शीर्षासन करके लाभ उठाया जा सकता है और परेशानी में राहत
मिल सकती है|
38. खांसी : खांसी की समस्या मनुष्य को
बहुत पीड़ा देती है और इसके कीटाणु दूसरे व्यक्ति को बहुत जल्दी पभावित करते है| इसलिए इसका इलाज जल्दी ही
कर लेना चाहिए| इसके इलाज के लिए
शीर्षासन, ‘उर्ध्व सर्वागासन, मत्स्यासन, जानुशिरासन और सुप्वाज्रासन करने जरुरी
होते है इनसे बहुत जल्दी खांसी की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है|
39. सूजन : शरीर के किसी भी अंग या
भाग में सूजन होने से व्यक्ति के मन में अन्य विकार होने के चिंता होने लगती है| सूजन को कम या ख़त्म करने
के लिए उर्ध्वसर्वांगासन और शीर्षासन करने से उचित फायदा होता है|
40. थकावट : यदि आपको कम काम करने से
ज्यादा थकावट होती है तो इसके लिए आपको शवासन, मत्स्यासन, दण्डासन और प्रेतासन
करने चाहिए| इससे आपकी थकान दूर
हो जाएगी और शरीर ताजगी से भर जायेगा|
41. फेफड़े : फेफड़ों से सम्बंधित रोग
होने की अवस्था में वज्रासन, मत्स्यासन और सर्वांगासन नियमित रूप से करने से
समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है|
42. स्नायु निर्बलता : स्नायु दुर्बलता होने से
शरीर के किसी भी हिस्से में जलन होने लगती है इससे बचाव के लिए हलासन, चक्रासन,
धनुरासन, गर्भासन, वज्रासन, शीर्षासन, शलभासन, शशांकासन नियमित रूप से करने चाहिए|
43. गुर्दे के रोग : गुर्दे के रोग उष्ट्रासन,
भुजंगासन, गौमुखासन, शशंकासन, हलासन और धनुरासन करके ठीक किये जा सकते है|
44. वात रोग : वात रोगों से बचाव करने के
लिए धनुरासन, वज्रासन और पदमासन क्रियाएं रोजाना करनी चाहियें|
45. लीवर : लीवर के रोग बहुत भयंकर
होते है इनके बहुत दुष्परिणाम होते है इनसे बचने या इनका इलाज करने के लिए सुर्यनमास्करासन,
शलभासन, शीर्षासन, शशांकासन, भुजंगासन, हलासन और धनुरासन नियमित रूप से करने चाहिए|
46. कीड़े : कीड़ों को ख़त्म करने के लिए
मत्स्येन्द्रासन, वृश्चिकासन, मयूरासन, नौकासन, शीर्षासन, मेरुदंड आसन, सर्वांगासन
और पश्चिमोतानासन करने चाहिए|
47. खट्टी डकारें : खट्टी डकारे आने से
व्यक्ति का स्वास्थ्य ख़राब होने की सम्भावना हो सकती है| इस रोग का उपाय
सर्वांगासन, पश्चिमोतानासन, शीर्षासन, भुजंगासन और चक्रासन नियमित रूप से करके
किया जा सकता है|
निष्कर्ष :
अंत में हम कह सकते है शरीर से संबधित कोई भी
ऐसा रोग नहीं है जिसका इलाज योगासन द्वारा नहीं किया जा सकता है| योगासन को यदि एक इलाज के
लिए किया जाये तो अन्य रोग पर इसका प्रभाव अपने आप ही हो जाता है| योगासनों का पूरा लाभ लेने
के लिए पूरी जानकारी लेने के बाद, मन व ध्यान को एक जगह केन्द्रित करके ही योगासन
करे| इस तरह से योग करने
से आपका शरीर सभी रोगों से तो मुक्त होगा ही साथ में शक्तिशाली और स्फूर्तिवान भी
बन जायेगा|
No comments:
Post a Comment