स्वास्तिकासन
विधि :
सपाट भूमि पर कम्बल या दरी बिछाकर बैठ जायें| अपनी दोनों टांगों को
मोड़कर सुखासन की मुद्रा में बैठ जायें| बाएँ पैर को मोड़कर उसका पंजा अपने दायें घुटने
में लगायें उसके बाद इसी तरह से दायें पैर के पंजे को भी बाएँ पैर के घुटने में
लगायें| इस प्रक्रिया में
दोनों पैरों की पिंडलियाँ आपसे में सटी हुयी होनी चाहियें| रीढ़ की हड्डी सीधी होनी
चाहिए और ठोड़ी कंठकूप से लगी हुई होनी चाहिए| हाथों को भी सीधा रखे उनमे ज्यादा तनाव ना करें
और अपनी नजर को सामने केन्द्रित रखे|
लाभ :
स्वास्तिकासन के लाभ इस प्रकार है :
1.
इस आसन के अभ्यास से शरीर को बहुत आनंद मिलता है|
2.
इस आसन से मानसिक एकाग्रता में वृद्धि की जा सकती है|
3.
लिंग व योनी से सम्बंधित बिमारियों का इलाज स्वास्तिकासन का
नियमित अभ्यास करके किया जा सकता है|
4.
इससे रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलती है और कमर का दर्द भी
मिट जाता है|
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