सर्वांगासन :
सर्वांगासन आसन को आसनों का राजा माना जाता है| यह शीर्ष आसन के बाद सबसे
महत्वपूर्ण और लाभदायक आसन है|
विधि :
समतल ज़मीन पर कम्बल या दरी बिछा ले और इस पर पीठ
के बल लेट जाएँ| दोनों पैरों को एक
दूसरे से सटा लें और अपने हाथों को शरीर से सटाकर सीधे कर लें व हथेलियों को फर्श
से स्पर्श करा दें| इसके बाद टांगों को मोड़कर पेट के ऊपर ले आएं और आसमान की तरफ उपर उठा दें और
अपने कोहनियों को ज़मीन पर रखकर हथेलियों से कमर का संतुलन बनाये रखें| इस अवस्था में आपके शरीर
की आकृति समकोण की तरह होनी चाहिए| इस मुद्रा में आपको केवल 5 या 7 सेकंड तक ही
रहना है| शुरुआत में इस आसन
को करने वालों को जांघो और पिंडलियों की मांसपेशियों पर खिंचाव से दर्द का अनुभव
होता है|
विशेष :
सर्वांगासन के बाद मत्सयासन का अभ्यास करना
चाहिए यह आसन सर्वांगासन के विपरीत है| इससे शरीर के प्रत्येक अंग की अच्छी कसरत हो
जाती है|
सर्वांगासन के लाभ :
1.
इस आसन से गर्दन, पेट और छाती के विकार दूर किये जा सकते है|
2.
सर्वांगासन से रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाया जा सकता है और
नितम्बो पर दबाव पड़ने से इसके दोष भी दूर किये जा सकते है|
3.
सर्वांगासन से स्त्री योनी के विकारों के लिए भी बहुत
लाभदायक आसन है|
4.
सर्वांगासन गले की बिमारियों में यह आसन बहुत ही लाभ देता
है और गर्दन को भी मजबूती प्रदान करता है|
5.
सर्वांगासन शरीर में तेज, बल और वीर्य में बढ़ोतरी करता है
तथा वीर्य को संरक्षित भी करने में लाभकारी है|
6.
सर्वांगासन से रक्त को शुद्ध किया जा सकता है और पाचनतंत्र
को मजबूत और शक्तिशाली बनाकर कब्ज रोग का उपचार किया जा सकता है|
7.
इस आसन का नियमित अभ्यास करने से आयु की वृद्धि की जा सकती
है|
8.
सर्वांगासन से पैरों के तलुवो की पीड़ा, सूजन, जलन आदि विकारों
को खत्म किया जा सकता है|
9.
सर्वांगासन मस्तिष्क, फेफड़े, रक्त धमनियों व शिराओं और हृदय
को शक्ति प्रदान करता है|
10.
इससे मूत्राशय से सम्बंधित बिमारियों को भी दूर किया जा
सकता है|
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