महिला
को डिलीवरी तारीख कैसे देते है डॉक्टर : क्या आपको पता है कि किसी महिला को डॉक्टर
डिलीवरी की सही तारीख कैसे बताते है और उन्हें कैसे पता चलता है इसके बारे में | हालांकि जब कोई महिला गर्भवती होती है
तो उसके मन में एक बात हमेशा रहती है कि वह बच्चे को कितने समय बाद जन्म देगी| इस बारे में गर्भवती महिलाएं किसी
महिला विशेषज्ञ से जानकारी लेकर इस बारे में जान पाती है| डॉक्टर भी इस बारे में अपने अनुभव के
आधार पर सही जानकारी देने में सक्षम नहीं हो पाते है और वे महिला से माहवारी के
बारे में पता करके ही इसके बारे में अपनी राय दे सकते है|
गर्भावस्था
के समय डॉक्टर डिलीवरी की तिथि देने के लिए बहुत सी बातों के बारे में पूछते है और
इन्ही के आधार पर कोई अंदाजा लगाते है| महिला से जुड़ी इन बातों से ही उन्हें
डिलीवरी की सही तिथि का पता चलता है| कभी कभी महिलाएं डिलीवरी की तय तारीख
से पहले या बाद में बच्चे को जन्म दे देती है| आमतौर पर इसे सामान्य प्रसव ही माना
जाता है|
आइये
जानते है कि कैसे डॉक्टर शिशु के जन्म होने की तिथि का अनुमान लगाते है :
1. गर्भवती महिला के आखिरी पीरियड के पहले
दिन की गणना के आधार पर|
2. गर्भाशय के आकार को देखकर |
3. अल्ट्रासाउंड परीक्षण करके|
1. लास्ट मेंस्ट्रुअल पीरियड मेथड के आधार
पर : ज्यादातर डॉक्टर गर्भधारण के समय से गर्भावस्था के दिनों या हफ्तों को नहीं
गिनते क्योंकि महिलाओं का ओवुलेशन पीरियड हर महीने अलग अलग होता है| इसी कारण गर्भधारण के समय का पता करना
आसान नहीं होता है|
डॉक्टर
गर्भवती महिला की अंतिम या पिछली माहवारी के पहले दिन , उसमे सात दिन और जोड़कर
इसमें से 3 महीने घटा कर डिलीवरी की सही तारीख का पता करता है| ज्यादातर डॉक्टर शिशु के जन्म की तिथि
का पता इसी तरीके से लगाते है|
इसका
उदाहरण इस तरीके से दिया जा सकता है जैसे – मान लीजिये किसी महिला का लास्ट मेंस्ट्रुअल
पीरियड 10 मार्च होता है तो डॉक्टर इसमें 7 दिन जोड़कर 3 महीने कम करते है | इस आधार पर डॉक्टर उस महिला को 17
दिसम्बर की डिलीवरी तारीख देगा| हालाँकि इसके दो चार दिन आगे पीछे शिशु का जन्म होने की सम्भावना भी
रहती है|
2. गर्भाशय का आकार : गर्भाशय के लगभग 12
सप्ताह की अवधि बीत जाने के बाद गर्भाशय के ऊपरी हिस्से (इसे फुंडुस या बुध्न कहते
हैं) को पेल्विक रिम को महसूस किया जा सकता है| इस दौरान शिशु का विकास होने के साथ
साथ पेट के आकार में भी वृद्धि होती रहती है| ऐसे ही गर्भाशय के 18 सप्ताह के समय
के बाद इसके ऊपरी हिस्से को अच्छी तरह से महसूस किया जा सकता है| इस समय बच्चे की जितना ज्यादा विकास
होगा माँ के पेट के आकार में उतनी ही वृद्धि होती रहेगी| इस तरह से पेट के बढ़ते आकार से शिशु के
जन्म की तिथि का पता लगाया जा सकता है|
हालांकि
इस तरीके को गर्भावस्था की गणना करने का उचित तरीका नहीं माना जा सकता है|क्योंकि गर्भवती महिला का पेट बढ़ने के
अन्य कारण भी हो सकते है जैसे - शिशु की पेट में स्थिति , यूटेराइन फाइब्रॉयड (गर्भाशय में
ट्यूमर) की उपस्थिति होना|
3. अल्ट्रासाउंड परीक्षण के द्वारा : अगर
कोई महिला को अंतिम पीरियड की तारीख भूल जाये तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड परीक्षण करके
गर्भावस्था की गणना कर सकते है| यह तरीका गर्भावस्था की गणना करने का सबसे अच्छा और उचित तरीका माना
जाता है विशेष रूप से उस समय जब
अल्ट्रासाउंड गर्भावस्था के 20 सप्ताह से पहले किया जाये|
अल्ट्रासाउंड
परीक्षण के समय डॉक्टर महिला के पेट पर छोटा सा उपकरण चलाकर पता करते है| इस उपकरण से ध्वनि तरंगे बाहर भेजी
जाती है, इन तरंगों को कंप्यूटर की मदद से शिशु में बदलकर टीवी स्क्रीन पर दिखाया
जाता है|
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