बद्ध पदमासन
इस आसन में ऐसी मुद्रा बनायीं जाती है जिसमे मनुष्य के हाथ बंधे हुए दिखाई
देते है इसलिए इस आसन का नाम बद्ध पदमासन है| इस आसन से स्त्री और पुरुष दोनों को समान रूप
से लाभ मिलता है| लेकिन स्त्रियों को इसका अभ्यास गर्भावस्था या माहवारी की समस्या के दौरान
नहीं करना चाहिए| इस आसन की मुद्रा बनाने में थोड़ी परशानी जरुर होती है लेकिन अगर नियमित रूप
से अभ्यास किया जाये तो इसे करने में परेशानी नहीं होगी| यह आसन बहुत से रोगों में
आरामदायक सिद्ध होता है|
विधि :
कम्बल या दरी को समतल भूमि पर बिछा ले और बैठकर पदमासन की मुद्रा धारण कर ले| इसके बाद अपने दायें हाथ
को अपनी पीठ के पीछे से घुमाकर अपने दायें पैर के अंगूठे को पकड़ ले| इसी प्रकार दायें हाथ से
दायें पैर के अंगूठे को पकड़ें| सीने को बिल्कुल तान कर रखे और अपनी ठोड़ी को गले के नजदीक
( जितना कर सकतें हो ) रखने की कोशिश करें| अपनी नजरें नासिका के अग्र भाग पर टिकाये रखें| इस आसन की मुद्रा बनाने के
लिए बहुत से लोग अपने हाथों से अंगूठों को नहीं पकड़ पातें है यह उनकी कमजोर नस –
नाड़ियों के कारण होता है| अगर इस आसन का निरंतर अभ्यास किया जाए तो इसमें सफ़लता प्राप्त की जा सकती है|
बद्ध पदमासन के लाभ :
1.
इस आसन से वीर्य सम्बन्धी दोष दूर किये जा सकते है| इसके अलावा इससे स्वप्न
दोष की समस्या भी हल हो सकती है|
2.
अर्द्ध पदमासन का निरंतर अभ्यास करने से सीना चौड़ा किया जा
सकता है साथ ही शरीर पर से फालतू चर्बी को कम करके तंदरुस्ती बढ़ाई जा सकती है|
3.
इसके अभ्यास से कब्ज रोग से छुटकारा पाया जा सकता है| पेट के अन्य रोगों के इलाज
में भी मददगार होता है|
4.
आंतों की वृद्धि करने के लिए इस आसन का प्रयोग बहुत ही
लाभदायक होता है|
5.
क्षय रोग, पेट की अशक्तत और औषधियों से ना ठीक होने वाले
जानलेवा रोग भी कुछ समय तक इस आसन का अभ्यास करके ठीक किये जा सकते है|
6.
बद्ध पदमासन करने से गर्दन, कंधे, पीठ, जांघों, टखने और हाथ
की मांसपेशियों को लचीला बनाया जा सकता है|
7.
स्त्रियों को गर्भाशय विकार और संतान उत्पति के बाद पेट पर
होने वाली झुर्रियां भी इस आसन को करने से हटाई जा सकती है इसके अलावा शारीरिक
दुर्बलता से उभरने के लिए भी इसका अभ्यास करना फायदेमंद होता है|
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