त्राटक (Trataka) :
बिना पलक झपकाए या पुतलियों को हिलाए बिना किसी
वस्तु को लगातार एक नजर से देखना त्राटक कहलाता है| इस विधि में वस्तु के
अन्दर नहीं बल्कि बाहरी स्वरुप पर पूर्ण रूप से ध्यान केन्द्रित किया जाता है| त्राटक का पूरा वर्णन हठ
योग के ग्रंथों में किया गया है| हठयोग के अनुसार – जब तक आँखों में पानी ना जाएँ तब तक
लगातार किसी वस्तु को अनन्य चित्त और निश्चल नजरों से देखना ही त्राटक कर्म कहलाता
है|
त्राटक विधि में ध्यान के लिए साधन :
इस विधि में किसी भी आंतरिक या बाहय वस्तु का
प्रयोग करके ध्यान केन्द्रित किया जाता है| इनमे दीपक की लौ, फूल, इष्ट देवता की मूर्ति या
चित्र, चंद्रमा, तारे, दीवार पर कोई बिंदु या निशान, नासिकाग्र, भूमध्य और यौगिक
चक्र आदि हो सकते है|
त्राटक विधि :
इस विधि का अभ्यास करने के लिए साधक को पदमासन
या सिद्धासन की मुद्रा में बैठना होता है| अब अपने से लगभग 5 या 6 फुट की दूरी पर स्थित
किसी वस्तु को अपने सामने रखकर बिना पलकों को झपके उस वस्तु पर दृष्टी केन्द्रित
करें| इसका अभ्यास हो
जाने पर साधक लम्बे समय तक अपने मन को केन्द्रित कर सकता है| इस क्रिया के दौरान आँखों
को सामान्य अवस्था में खोलकर देखें, आँखों को ज्यादा खोलकर नहीं देखना चाहिए| इस विधि के समय में धीरे
धीरे वृद्धि करनी चाहिए और यदि इस विधि के दौरान आँखों में जलन महसूस होने लगे तो
कुछ देर तक आँखों को बंद कर दें| इस अवस्था में साधक द्वारा धीरे धीरे वस्तु के सूक्ष्म बिंदु
पर मन को एकाग्र करने का प्रयत्न करना चाहिए| उदहारण के लिए इष्ट देवता की मूर्ति लगाकर चरणों,
हार या केवल तिलक पर ही ध्यान लगाये रखें|
त्राटक के लाभ (Benefits of
Trataka) :
1.
त्राटक के अभ्यास से नेत्र सम्बन्धी रोगों को दूर करने के
साथ दृष्टि में भी वृद्धि की जा सकती है|
2.
बिना पलक झपकाए किसी वस्तु को लगातार देखने से आँखों की
मांशपेशियों का व्यायाम कराकर सिर दर्द, आँखों में पानी आने जैसे रोग रोगों से
छुटकारा पाया जा सकता है|
3.
इस विधि का अभ्यास करने से पढने लिखने की कार्यक्षमता को
बढ़ाकर मन की एकाग्रता बढ़ाने में मदद मिलती है|
4.
मानसिक तनाव दूर करके ध्यान को केन्द्रित करने की क्षमता
बढ़ाई जा सकती है|
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