एचआईवी वायरस का जीवन चक्र | HIV VIRUS LIFE CYCLE



एच आई वी के जीवन चक्र के विभिन्न चरण पाए जाते है जो कई वर्षों के बाद ही अपन जीवन चक्र पूरा कर पाते है| एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी ट्रीटमेंट के द्वारा H.I.V. के वायरस के जीवन चक्र को पूरा होने से रोका जा सकता है| इस उपचार से रोगप्रतिरक्षा प्रणाली का वायरस के प्रभाव से बचाव किया जा सकता है

HIV VIRUS LIFE CYCLE


एच आई वी के जीवन चक्र को प्रत्येक स्टेज में इसकी रोकथाम करने के लिए अलग अलग दवाएं इस्तेमाल में लाई जाती है| हालाँकि कभी कभी दवाएं लेने के बाद भी इसके वायरस की रोकथाम नहीं की जा सकती है क्योंकि ऐसा तब होता है जब रोगी के शरीर पर किसी दवा का प्रभाव ना हो या फिर रोगी का शरीर किसी दवा के प्रति कोई प्रतिक्रिया ही ना दें| इस समस्या को ड्रग रेसिस्टेंस के नाम से जाना जाता है|

सबसे पहले हमें इस बात को समझ लेना चाहिए कि एच आई वी वायरस जीवो पर कैसे हमला करता है और मनुष्य की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैसे नुक्सान पहुंचाता है| इसका पता लगाने के लिए एचआईवी वायरस के जीवन चक्र को समझ लेना चाहिए :

एच आई वी के जीवन चक्र के चरण :

1.      कोशिका में प्रवेश (Binding and Fusion) : इन कणों से जीवो की कोशिका के उपरी स्तर की पहचान की जाती है| एच आइ वी इन कणों में से कुछ खास कणों की पहचान करके उनके साथ मिल जाते है और जीवों की कोशिकाओं के साथ जुड़ (फ्यूज) जाते है |

2.      कोशिका में संक्रमण (infection) : जब वायरस हमारे शरीर की कोशिकाओं के साथ मिल जाता है तो उसके जिन कोशिकाओं में चले जाते है और शरीर में संक्रमण करने लगते है|

3.      रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन (Reverse Transcription) : यह वायरस में पाया जाने वाला एंजाइम होता है जिसका नाम रिवर्स ट्रांस्क्रिप्टेस (reverse transcriptase) है| इस एंजाइम द्वारा वायरस के अनुवांशिक पदार्थ को आर एन ए (RNA) को डी एन ए में बदल दिया जाता है|

4.      एकीकरण (Integration) : एंजाइम द्वारा परिवर्तित डी एन ए व  मनुष्य के कोशिका में पाया जाने वाला डी एन ए मिल जाने की प्रक्रिया को एकीकरण कहा जाता है| इसके कारण वायरस का जीन और मनुष्य का जीन एक जैसे ही समझे जाते है |

5.      ट्रांसक्रिपशन (Transcription) : कोशिका में सक्रमण होने के बाद विभाजन होने की स्थिति में वायरस को जीन के साथ पढ़े जाने से विशेष प्रकार का mRNA बन जाता है|

6.      इकट्ठा होना (Assembly, Budding) : इस चरण में वायरस के सभी प्रोटीन मिलकर एक नए वायरस को बनाने में लग जाते है| नए अविकसित वायरस कोशिका के अन्दर से कली (bud) की तरह निकलते है|

7.      अविकसित वाइरस (Immature Virus) : इस दौरान ये वायरस कोशिका से बाहर आ जाते है|

8.      विकसित वाइरस (Mature Virus) : जब वायरस बनकर पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है तो यह किसी नई कोशिका में संक्रमण करने लगता है या फिर किसी अन्य व्यक्ति को एच|आई|वी ग्रस्त कर देता है| इस चक्र में बार बार विकसित होने से वायरस की संख्या और प्रभाव बढ़ने लगता है|

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