संक्रमित मच्छर के काटने से मनुष्य के अन्दर एक
प्रकार का वायरस फैल जाता है जिसे चिकनगुनिया बुखार के नाम से जाना जाता है | यह
बुखार दो प्रकार के मच्छरों के कान फैलता है जिनके नाम “एडीज एजिप्टी” और “एडीज अल्बोपिक्टस” है | इस रोग का ज्यादा प्रकोप अफ्रीका, एशिया
और भारत के कुछ प्रदेशों में है | विश्व के लगभग आधे पश्चिमी हिस्से में
चिकनगुनिया बुखार से ज्यादातर लोग पीड़ित पाए गए है |
वर्तमान समय में भारत के कुछ प्रदेशों में
चिकनगुनिया बुखार से ज्यादातर लोग पीड़ित है | इसका संक्रमण होने के बाद रोगी
व्यक्ति को लगभग 3 से सात दिन तक तेज और सामान्य बुखार की स्थिति रहती है साथ ही
हाथ पैरों के जोड़ो में भी बहुत ज्यादा दर्द होने लगता है | अब तक इस बुखार के इलाज
की कोई विशेष तकनीक नहीं खोजी गयी है |
इस बुखार के प्रभाव से बचने के लिए सबसे बढ़िया
उपाय मच्छर के काटने से बचना माना गया है | चिकगुनिया वायरस ज्यादा गंभीर नहीं
होता है लेकिन इससे ज्यादा दर्द और परेशानी का सामना करना पड़ता है | बहुत ज्यादा
गंभीर स्थिति होने से इससे किसी व्यक्ति की मौत की संभावना भी हो सकती है | इससे
गंभीर प्रभाव से बचने के लिए हमें इसके लक्षणों की पहचान करके जल्दी से जल्दी इसके
उपचार में लग जाना चाहिए |
आज हम आपको चिकनगुनिया बुखार से संक्रमित होने
के कुछ लक्षणों के बारे में बताएँगे जिन्हें जानकार आप इससे अपना बचाव करने में
सफल हो सकते है | चिकनगुनिया के संक्रमण क लक्षण इस प्रकार से आपके सामने है :
लगातार तेज बुखार रहना :
लगातार तेज बुखार रहना चिकनगुनिया बुखार के
संक्रमण का लक्षण हो सकता है | इसमें रोगी को 102 से 104 डिग्री फेरनहाईट (40
डिग्री सेल्सियस) के बीच बुखार रहता है तथा यह लगभग 7 दिनों तक रह सकता है |
जोड़ो में दर्द की शिकायत रहना :
चिकनगुनिया के वायरस से संक्रमित होने पर हाथ
और पैरों के जोड़ो में तेज दर्द होने लगता है | कई बार यह दर्द असहनीय होने लगता है
जिससे रोगी व्यक्ति को अत्यधिक पीड़ा का अनुभव होने लगता है | यह दर्द कुछ महीने या
ज्यादा समय तक भी रह सकता है | अगर संक्रमित व्यक्ति की स्थिति ज्यादा गंभीर हो
जाये तो यह दर्द लगभग एक साल तक भी रह सकता है | तंज़ानिया की मकोंडे बोली के
अनुसार इस शब्द का अर्थ ‘ जो किसी को झुका देता है ’ होता है | इस बुखार से पीड़ित
होने के बाद रोगी व्यक्ति चलने फिरने लायक नहीं रहता है |
शुरुआत में ज्यादातर लोगो को सप्ताह या दस
दिनों तक ज्यादा दर्द रहता है | ज्यादा उम्र वाले या बूढ़े व्यक्तियों या शारीरिक
रूप से कमजोर व्यक्तियों को यह दर्द ज्यादा समय तक रह सकता है | कई बार जोड़ो में
दर्द रहने के साथ साथ उनमे सूजन भी होने लगती है |
चकत्ते होने लगते है :
चिकनगुनिया से संक्रमित व्यक्ति को बुखार होने
के साथ साथ शरीर पर चकत्ते होने लगते है जो सामान्य रूप से मैक्युलोपेपुलर (maculopapular) होते है | ये चकत्ते थोड़े थोड़े उभार त्वचा पर
बनाकर लाल हो जाते है | इनका शरीर पर धड़ और हाथ पैरों के आसपास ज्यादा प्रभाव
देखने को मिलता है | इसके अलावा रोगी की हथेलियों , पंजों
और चेहरे पर भी इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है |
अन्य लक्षण :
चिकनगुनिया की चपेट में आने पास रोगी व्यक्ति
को सिरदर्द की शिकायत होने के साथ साथ मांसपेशियों में दर्द होना, मितली और
उल्टियाँ होने की शिकायत हो सकती है |
चिकनगुनिया बुखार से बचाव के उपाय :
डॉक्टर की सलाह लें :
ऊपर दिए गए लक्षणों से आप चिकनगुनिया की पहचान
कर सकते है और इससे पीड़ित होने की स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए | डॉक्टर
से सही जाँच करवानी चाहिए क्योंकि बुखार को चिकनगुनिया में डायग्नोज़ करने की
प्रक्रिया बहुत मुश्किल होती है क्योंकि कई बार पता नहीं चल पाता है कि आपको डेंगू
का बुखार है या चिकगुनिया बुखार है | डॉक्टर इस प्रक्रिया में कुछ समय लेकर अपनी
डायग्नोसिस आपके लक्षणों आपके द्वारा हाल ही में यात्रा टूर के आधार और ब्लड टेस्ट
के नमूने की जाँच करके आपको सही बीमारी के बारे में बता देता है |
इसके लिए एक बात बहुत आवश्यक है कि चिकनगुनिया
का वास्तविक रूप से पता लगाने के लिए ब्लड सीरम या सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड का
टेस्ट मान्यता प्राप्त लेबोरटरी में किया गया हो | भारत सरकार दवारा इस सम्बन्ध
में राज्यों के स्वास्थ्य विभागों के केन्द्रों पर खून की जांच करके इस रोग पर
नियंत्रण करने के प्रयास किये जा रहे है | सामान्य रूप से टेस्ट की प्रक्रिया में
लगभग 4 से 14 दिनों का समय लग सकता है | इसी दौरान चिकनगुनिया बुखार का पूरा
प्रभाव आपके शरीर पर होने लगता है |
उपचार करने के लिए क्या करें :
अब तक इस बुखार के उपचार के लिए कोई ठोस दवा
नहीं बनायीं गयी हैजो इसे जड़ से खत्म कर सके | हालाँकि इसके लक्षणों को कम करने के
लिए आप डॉक्टर की सलाह से दवाओं का इस्तेमाल करके आराम ले सकते है | चिकनगुनिया
बुखार के दौरान राहत लेने के लिए आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार फुल बेड रेस्ट करने
के साथ साथ शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) को पूरा करना के लिए अधिक से अधिक
तरल पदार्थों का सेवन कर सकते है |
चिकनगुनिया बुखार के रोगी इसके दर्द और बुखार
के प्रभाव को कम करने के लिए एसेटामिनोफेन (acetaminophen-tylenol), इबुप्रोफेन (ibuprofen-advil) या नाप्रोक्सेन (naproxen-aleve) का प्रयोग करके लाभ ले सकते है | बुखार से
पीड़ित व्यक्ति को एस्पिरिन (aspirin) के सेवन से परहेज रखना चाहिय क्योंकि
इससे रियेस सिंड्रोम होने की सम्भावना होने लगती है | इसके कारण बच्चों और युवको
को लीवर और दिमाग की सूजन सम्बन्धी घातक बीमारी होने की सम्भावना हो सकती है |
मच्छरों से बचाव करने के तरीके अपनाएं :
चिकनगुनिया के संक्रमण में आने के बाद इसका
उपचार इतनी आसानी से नहीं किया जा सकता है और ना ही इसे पूरी तरह से खत्म किया जा
सकता है | लेकिन हम एक तरीके से इससे बच सकते है इसके लिए हमें चिकगुनिया फैलाने
वाले मच्छरों के काटने से बचना होगा | मच्छरों से बचने के लिए ऐसी प्रदेशों या
क्षेत्रों में यात्रा करने से बचाना चाहिए |
मच्छरों के काटने से बचने के लिए पूरी बाजू के
और शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनने चाहिए | इसके अलावा घर में मच्छर मारने वाले
कीटनाशकों का छिड्काव करते रहना चाहिए| मच्छर मारने के लिए कपड़ों पर पेर्मेथ्रिन
(एक प्रकार का इंसेक्टिसाइड) का इस्तेमाल करना चाहिए | शरीरके जिस हिस्से को हम
कपड़ों से नहीं ढक सकते उन पर मच्छर मारक (mosquito repellent) का उपयोग करें जिनमे विशेषतौर पर डीइइटी (DEET), पिकारिडिन
(picaridin),
IR3535 , लेमन
यूकेलिप्टस का आयल या पेरामेंथेन–डिओल (PMD) शामिल है | इन पदार्थों का इस्तेमाल करने से
मच्छरों को खत्म किया जा सकता है तथा मिनके प्रभाव से काफी समय तक बचाव किया जा
सकता है |
सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करके भी
मच्छरों से बचाव किया जा सकता है | इसके अलावा घर की खिडकियों और दरवाजों के
छिद्रों को बंद करने के लिए टाइट फिटिंग वाली इन्सेक्ट स्क्रीन का .प्रयोग करके
फायदा लिया जा सकता है |
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