कई बार सामान्य रूप से बैठे हुए आपके कानो में
कोई ध्वनि सी गूंजती या या बिना किसी शोर के आपको हमेशा सीटी बजने की आवाजें आती
रहती है | इसके अलावा फोन पर बात करते समय या क्लास रूम में आवाज साफ साफ सुनाई
नहीं देती है तो आपको काफी परेशानी हो सकती है |
इस समस्या को मेडिकल भाषा में एकॉस्टिक
न्यूरोमा के नाम से जाना जाता है | इस समस्या की अनदेखी करने पर व्यक्ति हमेशा के
लिए बहरेपन का शिकार हो सकता है | अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के
पूर्व विशेषज्ञ के अनुसार एकॉस्टिक न्यूरोमा एक प्रकार का ट्यूमर है लेकिन इससे
कैंसर की संभावना नहीं होती है | इससे व्यक्ति को सुनने में समस्या होने लगती है
जिसके कारण उसे कभी कभी कम सुनना या बिलकुल भी नहीं सुनना आदि समस्या हो सकती है |
इस ट्यूमर से व्यक्ति को और भी कई गंभीर
परेशानी हो सकती है क्योंकि इसके लक्षणों की पहचान करने में बहुत देर लगती है
क्योंकि यह बहुत धीमी प्रक्रिया से सामने आते है | इसलिए शुरुआत में तो बीमारी का
पता ही नहीं चल पाता और जब इसका पता चलता है तब इलाज संभव नही होता है |
एम्स के ही एक और विशेषज्ञ के विचारों के
अनुसार क्रेनियल तंत्रिका हमारे मष्तिष्क से निकलने वाली आंठवी तंत्रिका है जो
सीधे कान के अंदरूनी हिस्से से जुड़ती है | आंठवी और सातवीं क्रेनियल तंत्रिका एक
दूसरे के पास होती है | एकॉस्टिक न्यूरोमा मस्तिष्क से निकलने वाले आंठवी क्रेनियल
तंत्रिका पर बनने वाला ट्यूमर होता है और यह नर्व की शाखा वेस्टिबुलर तक चला जाता
है जिसके कारण इसको वेस्टिबुलर श्वेनोमा के नाम से भी जाना जाता है |
इस विषय पर एक और विशेषज्ञ के अनुसार यह ट्यूमर
कई सालों तक बनता रहता है और विकसित होने के बाद अचानक से सुनने की क्षमता को
प्रभावित करने लगता है | ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अक्सर लोग फोन पर ज्यादा समय
तक बात करते है | इस समस्या के प्रभाव से फोन पर बात करते समय काफी कम सुनाई देने
लगता है |
इसके अलावा कभी कभी कान में सीटी सी बजने लगती
है | इस तरह की बातों पर अक्सर लोग ज्यादा ध्यान नहीं देते है लेकिन यहाँ से
अनदेखी करने पर ही एकॉस्टिक न्यूरोमा ट्यूमर बनने लगता है | अगर लोग इस समस्या पर
शुरू से ही ध्यान दे और डॉक्टर की सलाह लें तो इस समस्या से बचाव किया जा सकता है
|
विशेषज्ञों के अनुसार इस तरह की समस्या से
ग्रस्त लोगों की भीड़ दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है | एकॉस्टिक न्यूरोमा के प्रभाव
के कारण लोगो को चक्कर आने की समस्या होना या चलते चलते पैर लड़खड़ा जाना आदि
समस्याएँ होने लगती है | इस समस्या का प्रभाव अधिक होने पर चेहरे पर लकवा हो जाने
के समस्या की संभावना भी बन सकती है |
मस्तिष्क से निकलने वाली आठवीं क्रेनियल
तंत्रिका में होने के कारण यह आस पास की अन्य क्रेनियल तंत्रिकाओं और रक्त
वाहिनियों को भी काम करने से रोकता है | जिसके कारण मस्तिष्क को रक्त पहुँचाना बंद
हो जाता है या कम हो जाता है | सातवी क्रेनियल तंत्रिका पर एकॉस्टिक न्यूरोमा के
ट्यूमर का प्रभाव पड़ने से चेहरे पर लकवा हो जाने की समस्या हो सकती है क्योंकि
इसका सम्बन्ध भी चेहरे की मांसपेशियों से होता है |
इसके अधिक प्रभाव से मांसपेशियों को बहुत
नुकसान होने लगता है तथा आंसू और नाक में एक द्रव बनने लगता है जिसके कारण जीभ की
स्वाद ग्रंथियां भी प्रभावित होने लगती है | इसके अलावा पांचवीं क्रेनियल नर्व पर
एकॉस्टिक न्यूरोमा का अधिक प्रभाव हो जाए तो चेहरे की मांसपेशियों में दर्द होने
की समस्या हो सकती है | इस समस्या को ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया के नाम से जाना
जाता है |
ऊपर दिए गए लक्षण के कारण बहरेपन की समस्या हो
सकती है | इसलिए कभी आपको ऐसी कोई समस्या हो जैसे कान में सीटी बजे या बातचीत के
दौरान कम सुनाई दे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर उपचार शुरू कर देना चाहिए | अगर
अप इन लक्षणों को अनदेखा करते है तो आप कभी भी बहरेपन की समस्या से ग्रस्त हो सकते
है इसलिए समय रहते ही लक्षणों को पहचान कर बीमारी को पनपने से पहले ही खत्म कर दें
|
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