शंख मुद्रा द्वारा करें सभी वाणी विकार दूर | shankh mudra dwara kren sabhi vaani vikaar door



योग विज्ञान का लाभ लेकर आप बड़ी से बड़ी समस्या को आसानी से दूर करने में सफल हो सकते है | किसी भी शारीरिक रोग या विकार को योगासनों व मुद्राओं दवारा दूर किया जा सकता है | शंख मुद्रा भी इन्ही मुद्राओं में से एक है जिसके द्वारा कई प्रकार के विकारों को आसानी से दूर किया जा सकता है |

shankh mudra


आजकल बच्चों में हकलाना, तुतलाना, गला बैठ जाना या अन्य वाणी (आवाज) विकार देखने को मिलते है | इनमे से कुछ थोड़े समय बाद ठीक हो जाते है लेकिन कुछ वाणी विकार उम्र भर ठीक नहीं होते है | आप इन वाणी विकारों को शंख मुद्रा की मदद से दूर करने में सफल हो सकते हो लेकिन इसके लिए आपको लगातार मेहनत और प्रयास करना पड़ेगा |

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आज हम आपको वाणी दोषों को शंख मुद्रा की मदद से दूर करने के उपायों के बारे में बताएँगे | इसके द्वारा आप भी अपने वाणी दोष को दूर करके सामान्य जीवन जी सकते है :

शंख मुद्रा बनाने की विधि :

सबसे पहले एक साफ, समतल और हवादार जगह पर कपड़ा बिछा लें | इसके बाद पद्मासन या सुखासन की मुद्रा बनाकर बैठ जाएँ | अब बाएं हाथ का अंगूठा दायें हाथ की मुट्ठी से पकड़कर, बाएं हाथ की तर्जनी ऊँगली को दायें हाथ के अंगूठे के अग्रभाग पर लगा दें | बाएं हाथ की अन्य उँगलियों से दायें हाथ की उँगलियों को हल्का दबा दें | इसके बाद हाथों की मुद्राओं को बदल कर इसका अभ्यास कई बार करें |

प्रभाव :

इस मुद्रा से शरीर के अन्दर पित्त को नियंत्रण में किया जा सकता है | इससे शरीर में वायु और कफ में भी वृद्धि होने लगती है | इस मुद्रा में एक हाथ की उँगलियों और अंगूठे से दूसरे हाथ की उँगलियों और अंगूठे पर दबाव दिया जाता है जिसके कारण नाभि और गले की ग्रंथियों पर प्रभाव पड़ने लगता है |

मुद्रा बनाते समय सावधानी :

जो लोग काफ और वात की समस्या से ग्रस्त रहते है उन्हें इस मुद्रा का अभ्यास ज्यादा समय तक नहीं करना चाहिए | उन्हें अपनी क्षमतानुसार ही मुद्रा का समय और अभ्यास निर्धारित करना चाहिए अन्यथा उन्हें परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है |

मुद्रा में रहने के लिए उचित समय :

इस मुद्रा को आप दिन में किसी भी समय बनाकर अभ्यास कर सकते है | इसकी अवधि एक बार दस से 15 मिनट के बीच होनी चाहिए तथा इसे दिन में केवल तीन बार ही अभ्यास करना चाहिए |

शंख मुद्रा के फायदे :

नियमित रूप से शंख मुद्रा बनाकर अभ्यास करने से कुछ ही समय में वाणी विकार जैसे हकलाना, तुतलाना आदि दूर होने लगते है | आवाज तथा गले की समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है |

कुछ समय तक अभ्यास करने पर वाणी में मधुरता आने लगती है तथा गला बैठने की समस्या से भी राहत मिलती है | जो लोग संगीत की साधना करते है उन्हें इससे विशेष लाभ मिलता है |

इसके अलावा बैचैनी और उत्तेजना की स्थिति में भी शंख मुद्रा के अभ्यास से मदद मिलती है | शरीर में जलन महसूस होने की समस्या से भी छुटकारा पाया जा सकता है |

शरीर में होने वाली एलर्जी जैसे पित्ती (त्वचा पर चकत्ते होना) आदि की समस्या से बचाव करने में आसानी रहती है | इससे हमारे स्नायुओं और पाचन तन्त्र को मजबूती मिलती है | अंत व पेंडू सम्बन्धी रोगों का उपचार आसानी से किया जा सकता है |

पेट सम्बन्धी रोगों को दूर करने और भूख बढ़ाने में फायदेमंद साबित होता है | मांसपेशियों में लकवे की समस्या को दूर करने में लाभकारी होता है | एलर्जी और पुराने बुखार की समस्या को जल्दी से जल्दी दूर करने के लिए रोजाना शंख मुद्रा का अभ्यास लगभग 45 मिनट से ज्यादा तक करके लाभ लिया जा सकता है |


शंख मुद्रा का नियमित रूप से अभ्यास करके आप वाणी विकारों को दूर करने के साथ साथ अन्य कई तरह की परेशानियों से छुटकारा पा सकते है साथ ही शरीर को भी मजबूती प्रदान की जा सकती है | इसलिए इस मुद्रा का अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए आपको इसका नियमित रूप से अभ्यास करना चाहिए |

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