जब भी हमें या हमारे
बच्चों को कोई बीमारी या परेशानी होती है तो हम इसका उपचार घर पर ही कर लेते है और
घरेलू उपायों से हमें बहुत लाभ भी मिलता है | कई बार तो डॉक्टर की जरूरत भी नहीं
पड़ती और बीमारी ठीक हो जाती है लेकिन कई बार इन घरेलू नुश्खों का प्रयोग करना आपके
लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है |
मौसम बदलने के साथ
साथ बच्चों में भी सर्दी खांसी की समस्या होनी शुरू हो जाती है और हम इनका उपचार
घरेलू तरीके से कर लेते है लेकिन क्या आप जानते है कि कुछ समस्याएँ ऐसी होती है
जिनके लिए घरेलू उपचार करने से फायदा होने की जगह हानि होने लगती है इसलिए कुछ
उपायों को अपनाते समय कुछ बातों पर विचार करना बहुत जरूरी होता है |
आज हम आपको इस लेख
के माध्यम से कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बताने जा रहे है जिनके प्रयोग से
आपको बीमारी से राहत मिलने की जगह नुकसान होता है | आइये जानते है इस विषय से
सम्बंधित कुछ खास जानकारी जो आपके सामने इस तरह से है :
त्वचा सम्बन्धी
समस्या के लिए उपचार :
नवजात शिशु की त्वचा
को निखारने के लिए कई बार पेरेंट्स उबटन का प्रयोग करते है | जिसके लिए हल्दी,
बेसन और क्रीम को मिलाकर एक पेस्ट बनाया जाता है | अक्सर लोग सोचते है कि इससे
शिशु को त्वचा सम्बन्धी फायदा हो सकता है | लेकिन जब इस पेस्ट को बच्चों की त्वचा
पर लगाते है तो बाद में पेस्ट को उतारते समय बहुत दर्द होने लगता है | इसके अलावा
शिशु की त्वचा में जलन होने की समस्या भी हो सकती है | इस उपाय का प्रयोग करने से
बच्चे को फायदा होने की बजाय दर्द होने लगता है इसलिए इस उपाय का प्रयोग बच्चों के
लिए नहीं करना चाहिए |
बालों के लिए
फायदेमंद उपाय का प्रयोग :
कुछ उपाय बालों के
विकास के लिए बहुत फायदेमंद होते है जिनका प्रयोग पेरेंट्स बच्चे के बालों के लिए
करते है | बच्चे का मुंडन करवाने के बाद पेरेंट्स नए बाल उगाने और बेहतर विकास के
लिए उसके सिर पर जली हुई बोरी की राख, केले के साथ लाल मसूर का पेस्ट, अंडे लगाना
आदि उपाय करते है | इन उपायों से बच्चे के बालों पर कुछ नहीं होता बल्कि उसके सिर
की त्वचा भी खराब हो सकती है | बच्चे के बालों का विकास और गुणवत्ता उसके जीन पर
आधारित होती है | इसलिए कभी भी बच्चे के बालों के विकास के लिए ऐसे उपायों का
प्रयोग नहीं करना चाहिए |
बुखार को दूर करने
के लिए उपचार :
बच्चे को बुखार होने
की समस्या होने पर किसी भी तरह का घरेलू नुश्खा नहीं अपनाना चाहिए | ऐसी स्थिति
में डॉक्टर की सलाह लेकर ही उसे पेरासिटामोल
की कुछ ड्रॉप देनी चाहिए | इसकी जरूरत भी तब होती है जब बच्चे का बुखार 100 डिग्री
से ज्यादा होने लगता है | हालाँकि कई बार पेरेंट्स इस स्थिति में भी घरेलू उपचार
द्वारा बुखार को ठीक करने का प्रयास करते है और इसके लिए वो गन्ने के रस में हल्दी
मिलाकर बच्चे को पिलाते है | इस उपचार से बच्चे का बुखार कम नहीं किया जा सकता है
लेकिन उसकी परेशानी बढ़ जरुर सकती है | इसलिए इस उपाय के प्रयोग से भी परहेज ही
रखना चाहिए |
फ्रैक्चर
के लिए घरेलू उपचार :
कभी
कभी बच्चे को फ्रैक्चर हो जाने पर किसी विशेषज्ञ से उपचार करवाने की बजाय हम किसी
गली चौराहे के पास बैठने वाले नीम – हकीम के पास चले जाते है | हालाँकि वे भी टूटी
हड्डियाँ जोड़ने का दावा करते है लेकिन कई बार बात बिगड़ने पर उनके पास भी इसका कोई
जवाब नहीं होता है | इसलिए बच्चे के साथ कभी भी ऐसी स्थिति होने पर उसे किसी
विशेषज्ञ के पास ले जाना चाहिए | इसके लिए ना तो स्वयं प्रयास करना चाहिए और ना ही
नीम-हकीम
के पास जाना चाहिए |
अगर आप अपने बच्चे
को सही तरह से स्वस्थ देखना चाहते है तो उसका उपचार करते समय सावधानी बरते और कभी
भी कोई ऐसा वैसा प्रयास या उपचार ना करें | इनसे आपको फायदा होने की बजाय नुकसान
भी हो सकता है |
No comments:
Post a Comment