छोटे बच्चों को भी हो सकती है हार्ट अटैक की समस्या | chote bacchon ko bhi ho sakti hai heart attack ki samsya



अक्सर हम सुनते है कि हार्ट अटैक की समस्या से किसी व्यक्ति की मौत हो गयी है या किसी युवा को हार्ट अटैक आया है | लेकिन क्या आपने कभी किसी छोटे बच्चे के बारे में ऐसा सुना है कि 2 या तीन साल के बच्चे या इससे भी कम उम्र के शिशु को हार्ट अटैक आया है | हालाँकि ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है इसके लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती है |

heart attack


वर्तमान समय में हार्ट अटैक की समस्या से एक बड़ा वर्ग परेशान है और इसमें हर उम्र के लोग शामिल है चाहे वो बच्चा हो या बूढ़ा | आज के समय में 5 से 10 साल के बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आ चुके है | इसलिए उन्हें इस समस्या से बचाने के लिए सबसे पहले उन कारणों के बारे में जानना चाहिए जिनकी वजह से छोटे बच्चों को इस तरह की समस्या से झूझना पड़ता है |

आज हम आपको छोटे बच्चों में हार्ट अटैक की समस्या होने के कारणों के बारे में बताने जा रहें है | इन्हें जानकार आप भी अपने बच्चे को इस जानलेवा बीमारी से बचा सकते है | इसलिए आइये जानते है इस विषय से सम्बंधित कुछ खास जानकारी जो आपके सामने इस प्रकार से है :

वर्तमान समय में ये बात बिल्कुल सच है कि छोटे बच्चे को भी हार्ट अटैक की समस्या हो सकती है लेकिन यह बहुत कम बच्चों में ही देखने को मिलता है | इस समस्या का मुख्य कारण है उचित रूप से आहार ना लेना और शारीरिक गतिविधियों में कमी होना |

कुछ बच्चों में जन्म के समय से ही इस समस्या के लक्षण दिखाई देने लगते है और ये लक्षण उन्हें उनके पेरेंट्स से जन्म के दौरान ही मिलते है | इसका मतलब ये है कि अगर पेरेंट्स हार्ट अटैक की समस्या से ग्रस्त है तो उनके होने वाले बच्चे को भी ये समस्या हो सकती है | इसके अलावा दिल या धमनियों में संरचनात्मक विषमता के कारण भी इसकी सम्भावना बन सकती है | कुछ बच्चों में हार्ट अटैक के मामले भी संरचनात्मक विषमता के कारण ही पाए गए है |

कुछ मामलों में अनुवांशिक गड़बड़ी या बहुत अधिक उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी गड़बड़ियां भी हार्ट अटैक की वजह हो सकती है | इसी कारण बच्चे दुबले पतले होने के बावजूद भी उनके शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने लगती है और अनुवांशिक कारणों से शरीर में इसकी मात्रा बढ़ती ही रहती है | इसीलिए समय बीतने के साथ साथ धमनियों में ब्लॉकेज की समस्या होने लगती है और बच्चे को हार्ट अटैक होने की संभावना में भी वृद्धि होने लगती है |

इस तरह की समस्या परिवार के एक सदस्य को होने पर सभी लोगो में होने लगती है क्योंकि अगर परिवार के किसी एक व्यक्ति को पहले ही हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या होती है तो इससे पता लगाने में आसानी रहती है कि आपके बच्चे को हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया hypercholesterolemia) है या नहीं | इसका मतलब अगर है तो आपके बच्चे को भी हार्ट अटैक की संभावना हो सकती है और अगर परिणाम नहीं होता है तो हार्ट अटैक की संभावना भी खत्म हो जाती है |

कुछ बच्चे जन्म के समय से हो मोटापे की समस्या से ग्रस्त होते है जिसके कारण भी उनमे हार्ट अटैक आने की संभावना रहती है | इसके अलावा छोटे बच्चे बाहर के खाने को ज्यादा पसंद करते है जो बिमारियों से भरा होता है | इसलिए पेरेंट्स को अपने बच्चों को इस समस्या से छुटकारा दिलवाने के लिए उनके बाहर के खाने पीने की आदत को सुधारना चाहिए | पेरेंट्स को अपने बच्चे को बिमारियों से बचाने के लिए उसके खानपान के तरीके को बदलकर उसे उचित आहार देने चाहिए साथ ही उसे शारीरिक गतिविधियों में भी लगाये रखना चाहिए |

परिवार के किसी सदस्य को इस तरह की बीमारी होने से बच्चे पर भी उसका असर पड़ सकता है इसलिए अपने बच्चे के बढ़ते वजन को नियंत्रित करने के लिए भी कुछ खास उपाय अपनाने चाहिए | इसके लिए आप डॉक्टर की मदद से उचित उपचार शुरू कर सकते है या फिर उसे दिल सम्बन्धी बीमारी होने के कारणों का पता लगा सकते है |

फ़िलहाल बच्चों में दिल की बिमारियों के ज्यादा संकेत नहीं दिखाई दिए है लेकिन ये एक गंभीर मसला है जिसकी तरफ हमें अभी से ध्यान देना चाहिए ताकि आगे चलकर हमारे बच्चे किसी भयंकर बीमारी की चपेट में ना आ जायें | इसलिए समय रहते ही सावधानी रखने में फायदा और समझदारी है |




No comments:

Post a Comment