कर्म भाग्य और भविष्य का विधाता

कर्म भाग्य और भविष्य का विधाता

सृष्टी के निर्माण से लेकर अब तक मनुष्य के मन में भाग्य को लेकर हमेशा ही चिंता के भाव दिखाई दिये है| मनुष्य इस बारे में जानने के लिए काफी जिज्ञासु रहता है और इस बारे अनेको विद्वानों या ज्योतिषियों का सहारा लेता है लेकिन फिर भी भाग्य एक ऐसी पहेली है जिसे अभी तक कोई भी नहीं सुलझा सका है |
 भाग्य के सहारे अपने भविष्य को छोड़ देना मुर्खता के लक्षण होते हैं| मनुष्य को हमेशा अपने कर्म पर ही जोर देना चाहिए| कर्म प्रधान होता है और इस सम्बन्ध में भगवान श्री कृष्ण ने गीता में भी इसके बारें में बताया है| उनके अलावा तुलसीदास जी ने रामायण के इस दोहे “ कर्म प्रधान विश्व रचि राखा” द्वारा उल्लेख किया है कर्म से बड़ा कुछ नहीं होता | भगवान महावीर जी भी इस बात का समर्थन करतें है कि मनुष्य को कर्म करते रहना चाहिए उसके बाद ही उनका भविष्य तय होता है|

कर्म भाग्य और भविष्य का विधाता

कर्म प्रधान होता है

कर्म का नजरिया व्यापक होता है सब अपने कर्म से अलग ख्याति प्राप्त करते है जैसे कि सूरज सबको समान रूप से रोशनी देता है, बरसात से भी सबको बराबर पानी मिलता है, हवाएं भी सबके लिए समान रूप से बहती होतीं है | यह सब कार्य करने से पहले वे इस बात को नहीं देखते कि आपके द्वारा कौन सा भगवान पूजा जाता है या फिर किसको ज्यादा फायदा देना चाहिए या किसे कम|
 यह आपके कर्म पर निर्भर होता है कि आप किस चीज का कितना फायदा ले सकते है| आपका कर्म ही प्रधान होता है जो आपको नई उचाईयों पर पहुंचाता है| मनुष्य अगर सारी उम्र खाली बैठ कर निकाल देता है तो फिर वह कैसे अपने उज्जवल भविष्य की कामना कर सकता है| भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए या कामयाबी प्राप्त करने के लिए केवल भाग्य पर ही निर्भर रहना बुद्धिमता नहीं है| कामयाब होने के लिए सबसे पहले कर्म पर जोर देना चाहिए| मनुष्य द्वारा किये गए काम ही उसकी सफलता तय करते है ना कि उसका भाग्य| इसके अलावा मनुष्य के प्रयास भी सही दिशा में किये जाने चाहिए| सही कार्य कुशलता के साथ काम किया जाये तो निश्चित ही सफलता मिलती है| हमें अपने कर्म करते रहना चाहिए चाहें सफलता मिलने में देर क्यों न लग जाएँ, अपने प्रयास नहीं छोड़ने चाहियें| इस सम्बन्ध में ज्यादातर लोग इसी बात का समर्थन करते है कि कर्म करते रहने से ही भाग्य बदला जा सकता है| अगर आप सही समय पर सही दिशा में काम नहीं करेंगे तो इसमें भाग्य आपका साथ कहाँ तक देगा| 

उज्जवल भविष्य के लिए सही प्रयास :

कर्म के सहारे ही मनुष्य अपने भाग्य को बदलने की हिम्मत कर सकता है अगर मनुष्य अपने सफल भविष्य की इच्छा मन में रखता है तो उसके द्वारा किये गए कार्य ही यह सब तय करते है कि उसे कितनी सफलता मिलेगी| कुछ लोग अपने कर्म ना करके अपने भाग्य को अपनी नाकामी के लिए जिम्मेदार मानते है| इससे उनकी भगवान् के प्रति भी निराशा दिखने लगती है| इसके अलावा अगर आप सफल हो जाते तो आप इसका श्रेय भगवान् को दे देते है और अगर सफल नहीं होते है तो आपके नजरिये में इसके लिए भगवान् जिम्मेदार होता है| यह बिलकुल ठीक नहीं है अगर आप ऐसा करते है तो आप अपने कर्म और जिम्मेदारी से भाग रहें है|
अगर भाग्य को बलवान बनाना है तो ऐसे कर्म करे जो आपको सफलता के मार्ग तक पहुंचाए साथ ही किसी और को आपके कर्मों से नुक्सान ना हो | अपने स्वार्थ के लिए किसी को ऐसा नुकसान ना दे कि उसका सारा जीवन कष्ट में बीतें| अपने फायदे के लिए किसी का हक़ छीन लेना या किसी को सारी उम्र अपना नौकर बना कर प्राप्त की गयी सफलता का कोई महत्व नहीं होता और ना ही इससे भाग्य बदला जा सकता| ऐसा करके आप कुछ समय तक तो खुश रह सकते हो लेकिन सारी उम्र सुख के अनुभव के लिए एक ही रास्ता है और वो है आपके द्वारा किये गए अच्छे कर्म जिनका फायदा आपके साथ साथ दुसरे लोगों को भी होता है|

जैसा पुरुषार्थ वैसा भाग्य :


यह बात नियमों के अनुरूप बिल्कुल खरी उतरती है कि आपके जैसे कर्म होंगे आपका भाग्य भी उसी तरह का होगा| अच्छे कर्म करने वालों का भाग्य उनके लिए सफलता के अवसर बनाता है लेकिन बुरे कर्म किये जाने से भाग्य नहीं बदलता और इससे कभी भी सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती| यह बात तो तय है कि कर्म ही प्रधान होता है लेकिन इसके बाद भी भाग्य द्वारा भी लोगों को सफलता मिलती है| कुछ लोग सारी उम्र बुरे कर्म करते है या खाली बैठें रहते है फिर भी वे सफल हो जातें है| इसका उदाहरण महाभारत में भी दिया गया है| कई बार भाग्य के सामने कठोर परिश्रम और पुरुषार्थ दोनों ही विफल हो जातें है| उदाहरण के लिए युधिष्ठिर, जो बहुत बड़ा विद्वान था लोगो द्वारा उसे धर्मराज का नाम दिया गया था उनकें अलावा महावीर भीम, धनुर्धारी अर्जुन, नकुल और सहदेव जैसे वीरों के होते हुए दुर्योधन ने हस्तिनापुर पर वर्षों तक राज किया| दुर्योंधन कायर व् दुर्बुद्धि वाला व्यक्ति था फिर भी भाग्य के कारण इतने वर्ष राज करता रहा| कुछ ही लोग भाग्यशाली होतें है जिन्हें इस तरह के अवसर मिलतें हैं| फिर भी पूरी तरह भाग्य के उपर अपनी सफलता के लिए निर्भर नहीं रहना चाहिए| हमेशा मेहनत को ही प्राथमिकता दें| कठोर परिश्रम और नेक इरादों द्वारा ही सफलता मिल सकती है|     
  

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