गौरक्षासन
विधि :
समतल ज़मीन पर बैठ कर पैर सामने की तरफ फैला दें| अब दोनों पैरों को मोड़कर
नाभि स्थान के सामने अपने तलुओ को रखें , घुटनों को मोड़कर ज़मीन पर टिका दें और
तलुवो को नाभिस्थान के पास सटा दें| दोनों पैरों की एड़ियाँ गुदा और लिंग के बीच
स्थित सीवन से इस प्रकार लगा दें कि सीवन स्थान पर दबाव बना रहें| जांघों को भी ज़मीन से
लगाकर रखें और दोनों हथेलियों को अपने
घुटनों के ऊपर रखें| कमर को बिल्कुल सीधी रखें और नजरें भी सामने की तरफ व नासिका के अग्र भाग पर
केन्द्रित होनी चाहिए|
आसन के दौरान शरीर का दबाव सीवन स्थान के ऊपर ही
रहना चाहिए| ध्यान रखें कि
अंडकोष की खाल पर दबाव ना आए| स्त्रियों को भी इस आसन के दौरान जननेंद्रिय पर दबाव नहीं
पड़ने देना चाहिए| इस आसन की समयावधि 2 से 10 मिनट तक होनी चाहिए|
गौरक्षासन के लाभ :
1.
इस आसन का नियमित अभ्यास करने से पुरुषों के शुक्राणुओं की
शक्ति बढ़ाई जा सकती है तथा वीर्य को बढ़ाया और गाढ़ा किया जा सकता है |
2.
इस आसन द्वारा वीर्य की रक्षा होती है और ब्रह्मचर्य में यह
आसन बहुत ही लाभदायक होता है|
3.
इस आसन द्वारा स्वप्नदोष और शीघ्र पतन की समस्या से निपटा
जा सकता है|
4.
गौरक्षासन महिलाओं के मासिक धर्म, रज: और गर्भाश्य के रोग
भी ठीक किये जा सकते है साथ ही स्त्रियों के ल्यूकोरिया, कटिशूल रोगों को दूर करने
में भी बहुत लाभकारी सिद्ध होता है|
5.
इस आसन के द्वारा मूत्र सम्बन्धी रोग व आंत और पेट के रोग
जैसे बदहज्मी, गैस, कब्ज आदि से छुटकारा मिलता है|
6.
गौरक्षासन से कंधो को मजबूती प्रदान कर तथा बाजुओं की मांसपेशियों
को भी शक्तिशाली बनाया जा सकता है|
7.
इस आसन द्वारा कमर के दर्द में आराम मिलता है तथा घुटनों व
जांघों की मांसपेशियां मजबूत और लचीली बनती है|
8.
इस आसन के द्वारा टांगों को लम्बाई बढ़ती है जिससे दौड़ने की
क्षमता बढती है|
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