सूर्य नमस्कार
(Surya Namaskar )
अर्थ व महत्व ( Meaning and Importance)
सूर्य नमस्कार एक ऐसी उपासना या साधना है जिसके
द्वारा सूर्य देवता को प्रणाम करके उनके प्रति साधक के भक्ति भाव प्रदर्शित किये
जाते है| इन क्रियाओं में
विभिन्न योगासनों का मिश्रण होता है| सूर्य नमस्कार से एक तरफ तो धार्मिक और
आध्यात्मिक लाभ मिलता है, दूसरी तरफ शरीर का भी अच्छा व्यायाम होकर शारीरिक लाभ भी
प्राप्त किये जा सकते है|
इस आसन का अभ्यास सुबह सूर्योदय के समय और शाम
को सूर्यास्त से कुछ समय पहले किया जाता है| इसके अभ्यास से शरीर सुन्दर, स्वस्थ और सुडौल
बनाया जा सकता है साथ ही रोगों से लड़ने की शक्ति भी शरीर को प्रदान की जा सकती है| मांसपेशियों व मस्तिष्क को
भी स्वस्थ बनाया जा सकता है और श्वसन संस्थान को भी हृष्ट पुष्ट करने में यह बहुत
सहायता प्रदान करता है| इसकी विधि इतनी सरल होने के कारण इसे स्त्री पुरुष, बच्चा या बुढ़ा कोई भी कर
सकता है|
सूर्य नमस्कार
विधि (Method for doing Surya Namaskar):
सुबह उठकर नित्य क्रिया से निपट कर व स्नान करके
सूर्य नमस्कार करना उत्तम होता है| इसके लिए खुली हवादार और स्वच्छ जगह पर जाकर
सूर्य की तरफ मुंह करके सीधे खड़े हो जाएं| इस क्रिया के दौरान हल्के और खुले वस्त्र पहनने
चाहिए| गर्मियों में ज़मीन
पर दरी या चटाई बिछा ले और सर्दियों में कम्बल या मोटे कपड़े का इस्तेमाल करना
चाहिए| सूर्य नमस्कार की
पूरी प्रक्रिया के दौरान 12 चरणों या स्थितियों का अभ्यास किया जाता है|
1.
प्रथम चरण या स्थिति (Surya Namaskar First Stage):
किसी समतल भूमि पर चटाई, दरी या कपड़ा बिछा लें
और सीधे खड़े होकर सूर्य की तरफ मुंह कर लें| इस मुद्रा में दोनों पैरों की एडियां सटी हुई
होनी चाहिए तथा पंजे खुले रहने चाहिए| इसके बाद दोनों हाथों को जोड़कर (प्रणाम करने की
मुद्रा में) सूर्य को नमस्कार करें|
2.
दूसरा चरण या स्थिति (Surya Namaskar Second Stage) :
इस स्थिति में गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों
को ऊपर आसमान की तरफ बिल्कुल सीधे रखते हुए उठा दें| अपनी क्षमता के अनुसार
जितनी ऊंचाई तक उठा सकते है, उठाने का प्रयास करें| इस दौरान हथेलियां सीधी
तथा उंगलियां एक दूसरे से सटी हुई रहनी चाहिए| शरीर में पूरा तनाव होना चाहिए और अगर संभव हो
तो शरीर का झुकाव पीछे की ओर रखने की कोशिश करें|
3.
तीसरा चरण या स्थिति (Surya Namaskar Third Stage):
इस स्थिति में दोनों हाथों को धीरे से सांस
छोड़ते हुए नीचे की ओर लाना है और हाथों की उंगलियों से पैरों की उंगलियों को
स्पर्श करने का प्रयास करना है| ध्यान रखें कि इस दौरान पैर बिलकुल सीधे रहने चाहिए,
घुटनों से मुड़ने नहीं चाहिए|
4.
चतुर्थ चरण या स्थिति (Surya Namaskar Fourth Stage):
इस विधि में सांस को खींच कर बाएं पैर को आगे की
तरफ बढ़ा दें और दायें पैर को पीछे की तरफ करके तना दें| हाथों के पंजो को ज़मीन पर
रखकर शरीर का सारा वजन पंजो पर आने दें| अब पीठ को थोड़ा नीचे की तरफ झुका कर दायें पैर
के घुटने से ज़मीन को सपर्श करें| इस क्रिया को पैरों को बदलकर अभ्यास करना चाहिए|
5.
पांचवा चरण या स्थिति (Surya Namaskar Fifth Stage):
इस क्रिया में अपने दोनों हाथों को सिर की सीध
में ज़मीन पर लगा दें| इस दौरान उंगलियों को बाहर की तरफ रखें तथा नितम्बों को ऊपर की तरफ उठाने का
प्रयास करें| घुटनों को मुड़ने ना
दें और धड़ में पूरा तनाव रखें|
6.
छठा चरण या स्थिति (Surya Namaskar Sixth Stage):
इस चरण में हाथों आगे की ओर ज़मीन पर रखकर
कोहनियों को मोड़ते हुए शरीर का सारा वजन कोहनियों पर आने दें| हाथों के साथ पैरों के
पंजे ज़मीन पर ही तथा कोहनियाँ ज़मीन से ऊपर तनी हुई रहनी चाहिए| जब यह मुद्रा पूर्ण रूप से बन जाये तब साँस को
धीरे धीरे बाहर निकाल दें|
7.
सातवाँ चरण या स्थिति (Surya Namaskar Seventh Stage):
इस क्रिया में छठे चरण की स्थिति के बाद छाती से
सिर तक के भाग को ऊपर उठाने का प्रयास करें| इस दौरान शरीर का वजन दोनों हाथों पर ही रहना
चाहिए| दोनों हथेलियां
बराबर दूरी पर ज़मीन से सटी हुई हो तथा उनके ऊपर कंधे व बाहें पूरी तरह तनी हुई
होनी चाहिए| इसके बाद साँस को
खींचते हुए सीना तथा गर्दन को ऊपर की तरफ उठाकर सामने देखने का प्रयत्न करें|
8.
आँठवा चरण या स्थिति (Surya Namaskar Eighth Stage):
इस विधि में सामान्य अवस्था में ज़मीन पर बैठ
जाएं| अब अपनी बाईं टांग
को आगे की तरफ कर दें और दाईं टांग को पीछे ले जाएँ, अपनी क्षमतानुसार जितना फैला
सकते है, फैलाने की कोशिश करें| इसके बाद दोनों हाथों को आगे की तरफ करके आगे वाले पैर को
छूने की कोशिश करें और गर्दन को दोनों हाथों के बीच में रखें| इस स्थिति में पूर्ण रूप
से आने के बाद साँस को धीरे से निकाल दें| इस विधि को पैरों को बदलकर दोहराते रहें|
9.
नवां चरण या स्थिति (Surya Namaskar Nineth Stage):
इस स्थिति में अपने एक पैर को आगे की तरफ बढ़ाकर
घुटने पर से मोड़ दें और अपने दोनों हाथों को आसमान की तरफ ऊपर उठा दें| इस दौरान हथेलियों को
अन्दर की तरफ ही रखें| इसके बाद सातवें चरण की स्थिति में आकर साँस को धीरे से बाहर निकाल दें| यह सब करने के बाद सामान्य
अवस्था में सीधे खड़े हो जाएं और बची हुई क्रियाओं के लिए तैयार हो जाएं|
10.
दसवाँ चरण या स्थिति (Surya Namaskar Tenth Stage):
इस चरण में हमें एक बार फिर से तीसरे चरण की मुद्रा का अभ्यास करना होता है | शुरुआत में रेचक प्राणायाम
क्रिया द्वारा साँस को धीरे धीरे बाहर निकाल दें और इस दौरान हाथों की उंगलियों से
पैरों की उंगलियों को स्पर्श करने की कोशिश की जाती है|
11.
ग्यारहवां चरण या स्थिति (Surya Namaskar Eleventh Stage):
इस चरण को पहुंचने के बाद पूरक प्राणायाम की
स्थिति बनायीं जाती है अर्थात शरीर के अन्दर पूर्ण रूप से गहरी साँस भरी जाती है
और इसके बाद दूसरे चरण की विधि को दोहराया जाता है|
12.
बारहवाँ चरण या स्थिति (Surya Namaskar Twelve Stage):
इस चरण में आकर प्रारंभ में रेचक प्राणायाम
क्रिया द्वारा धीरे धीरे साँस को बाहर निकलना चाहिए| इसके पश्चात सामान्य
मुद्रा में सीधे खड़े होकर पहले चरण की स्थिति को दोहराना चाहिए|
अंतिम तीनो चरणों को प्रक्रिया प्रथम तीनो चरणों
का अभ्यास ही है|
No comments:
Post a Comment