ये दाल बना सकती है आपको अपंग | ye daal aapko bana sakti hai handicap



दाल गरीबों का सबसे अच्छा और बढ़िया भोजन माना जाता है | नियमित रूप से दाल का सेवन करने से मनुष्य को उचित मात्रा में प्रोटीन और विटामिन प्राप्त होते है जो हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के लिए फायदेमंद होते है | शाकाहारी व्यक्ति दाल का बड़े पैमाने पर प्रयोग करते है |

daal


दाल के इतने सारे फायदे होने के बाद भी इसके सेवन से शरीर को कई तरह के नुकसान हो सकते है | हाल ही में किये गए सर्वे के अनुसार वर्तमान समय में प्रयोग में की जानी वाली दाल के सेवन से व्यक्ति अपंग भी हो सकता है | हालाँकि दाल में कोई दोष नहीं है लेकिन वर्तमान समय में व्यापारियों के बढ़ते लालच ने दाल को खराब कर दिया है |

पैसे कमाने के चक्कर में व्यापारी दाल में कई तरह की चीजों की मिलावट करने लगे है जो प्रोटीन और आवश्यक तत्वों की बजाय नुकसानदायक और जहरीले होते है | आज कल जो दाल बाजार में मिलती है उसके सेवन से मनुष्य को अनेकों बीमारियाँ होने की संभावना हो सकती है | जब मनुष्य एक समय में कई बिमारियों की चपेट में रहता है तो शरीर अपंग होने की संभावना भी बन सकती है | शरीर पर इस तरह के प्रभाव होने के कई कारण हो सकते है लेकिन वर्तमान समय में अरहर की दाल में खोसरी की दाल मिलाने से भी ऐसा हो सकता है |

अरहर की दाल में खरोई दाल :

ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में व्यापारी दाल में कई तरह की चीजें मिलाते है इनमे कंकड़, पौधे और डंठल आदि शामिल है | हालाँकि इन चीजों को आसानी से पहचान कर दाल से अलग किया जा सकता है और इनसे व्यक्ति को ज्यादा नुकसान भी नहीं होता है लेकिन इनके अलावा दाल में जो चीजें मिलायी जाती है उनका प्रभाव बहुत घातक होता है | अरहर की दाल में खोसरी की दाल का मिश्रण करके सेवन करने से व्यक्ति के शरीर का निचला हिस्सा अपंग हो सकता है | खोसरी की दाल निम्न दर्जे की दाल है जिसे कुछ समय पहले प्रतिबंधित भी कर दिया गया था |

खोसरी की दाल :

ये दाल देखने में बिलकुल अरहर दाल जैसी ही लगती है जिसकी वजह से अरहर दाल में इसका मिश्रण करने पर आसानी से इसे पहचाना भी नहीं जा सकता है | इससे व्यापारियों को बहुत फायदा होता है | वर्तमान समय में ज्यादातर घरों में अरहर की दाल का नियमित रूप से सेवन किया जाता है जिसके कारण मिलावटी सामान भी जल्दी जल्दी खत्म होने लगता है और व्यापारियों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के अवसर मिल जाता है |

कब और क्यों लगी थी पाबंदी :

वर्ष 1961 में खोसरी की दाल को सरकार दवारा प्रतिबंधित कर दिया गया था | खोसरी की दाल बहुत ही सस्ती और निचले दर्जे की दाल है जिसका इस्तेमाल पशुओं के लिए चारे के रूप में किया जाता था | इसके सेवन से पशुओं पर भी बुरा प्रभाव पड़ने लगा था जिसके कारण सरकार ने इस दाल की बिक्री पर रोक लगा दी |

वैज्ञानिकों ने शोध के दौरान पाया कि खोसरी की दाल में ठक्जेलीडाई-अमीनो-प्रोपियोनिक अम्ल (ओडीएपी) पाया जाता है जिसके कारण शरीर का निचला हिस्सा प्रभावित होकर अपंग हो सकता है | इस दाल के प्रभाव से पैर और तंत्रिका तन्त्र सुन्न होने लगते है | इस समस्या को लैथीरिज्म रोग के नाम से भी जाना जाता है | मनुष्य और पशु दोनों को इस तरह के रोग होने की संभावना हो सकती है | जब व्यक्ति इस रोग से ग्रस्त हो जाता है तो व्यक्ति का निचला हिस्सा काम नहीं करता है |

हालाँकि केंद्र सरकार ने कुछ समय बाद इस दाल की बिक्री से प्रतिबंध को हटा लिया था जिसके बाद बाजार में दोबारा इसकी बिक्री होने लगी है | जो व्यक्ति निम्न स्तर के या गरीब है वे लोग इसका ज्यादा सेवन करने के लिए मजबूर होते है | लेकिन इसके सेवन से उन्हें गंभीर बीमारी होने की आशंका रहती है | इसलिए उन्हें इसके बुरे प्रभावों को देखते हुए इसके सेवन से परहेज रखना चाहिए |

ऊपर दिए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए हमें खोसरी की दाल के सेवन से परहेज रखते हुए स्वयं को बिमारियों के प्रभाव से बचाना चाहिए और हमेशा स्वस्थ और निरोगी जीवन जीना चाहिए |






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