जानुगमनासन
इस आसन का अभ्यास घुटनों के बल चलकर किया जाता
है इसलिए इस आसन का नाम “जानुगमनासन” दिया गया है| इस आसन में साधक बौने
व्यक्ति के समान दिखाई देता है| इसी कारण इस आसन को ‘वामन आसन’ के नाम से भी जाना जाता है|
विधि :
इस आसन में शरीर का संतुलन बनाना बहुत जरुरी
होता है तभी इस आसन का अभ्यास संभव हो सकता है| अगर शुरू में शरीर का संतुलन नहीं बन पाता है
तो व्यक्ति के गिरने की संभावना भी हो सकती है| शुरुआत में इस आसन का अभ्यास दरी या चटाई की
बजाय गद्दे पर ही करना चाहिए|
सबसे पहले घुटनों को मोड़कर ज़मीन पर खड़े हो जाएं| इसके बाद एक पैर को हाथ से
पकड़ कर एड़ी को नितम्ब से लगाकर, वही पर लगायें रखें| अब शरीर का संतुलन बनाकर
दूसरे हाथ से दूसरे पैर को पकड़ कर इसी तरह दूसरे नितम्ब से लगा दें| इस अवस्था में सारा शरीर
हवा में होता है केवल घुटने ही ज़मीन पर होते है और सारा वजन भी उन पर ही होता है| इस अवस्था में होकर सही
संतुलन बन जाने के बाद चार पांच कदम चलने की कोशिश करें| इस मुद्रा में संतुलन
बनाना मुश्किल होता है लेकिन कुछ दिन अभ्यास करने के पश्चात यह आसानी से हो जाता
है| इस आसन का अभ्यास करते समय
जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए|
जानुगमनासन के लाभ :
1.
इस आसन का अभ्यास करने से घुटनों की शक्ति बहुत बढ़ जाती है|
2.
पैरों के संतुलन की क्षमता बढ़ जाती है|
3.
इस आसन के द्वारा घुटनों के जोड़ों के दर्द और गठिया रोग दूर
किये जा सकते है और इस भाग को वात रोग से भी बचाया जा सकता है|
4.
इस आसन के नियमित अभ्यास से युवावस्था को लम्बे समय तक कायम
रखा जा सकता है|
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