माँ दुर्गा का नवम् स्वरूप
: सिद्धिदात्री देवी
भवानी माँ की नौ शक्तियों में से नवम् स्वरूप सिद्धिदात्री देवी
का है । इसलिए नवरात्र के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा और आराधना की जाती है
।माँ सिद्धिदात्री संसार की सब सिद्धियों को प्रदान करने वाली है । नव- दुर्गाओं में
ये माँ का अन्तिम सवरूप है । इनकी उपासना के बाद नौ दिन का महायज्ञ सम्पूर्ण हो जाता
है, माँ की कृपा से साधक की सभी इच्छायें पूरी हो जाती है | भक्त गण नवमी के दिन नवरात्रों
का परायण कर अपने व्रतों का भी परायण करते है | माता की प्रसन्नता के लिए नवरात्रों
में नवमी के दिन कन्या पूजन कर उन्हें खाना खिलाने का का विधान है |
माँ का स्वरूप: माँ सिद्धिदात्री
का स्वरूप अत्यंत दिव्य, सौम्य, गौरवर्णा और शंख एवं अस्त्र-शस्त्र गदा और चक्र धारिणी
है। सिद्धिदात्री माँ कमला ही धन-धान्य प्रदान करने वाली है | ये माता भगवान विष्णु
की अर्धांगिनी है ।
महादानव मधु और कैटभ का विनाश करने के लिए देवी ने अपनी माया की
विस्तार किया । देवी ने बहुत सारे रूप धारण कर लिए , दानव हैरान हुए कि ये कौन सी देवी है जो ऐसी माया फैला रही है । सभी इसकी
माया के वशीभूत हुए जा रहे है । दानवों ने देवी से पूछा कि तुम तो अकेली हो, फिर ये
इतनी सारी शक्तियां कौन है । देवी ने कहा मुझ
से अलग इस ब्रह्माण्ड में कुछ भी नहीं है सब कुछ मुझ से ही है, ये सारी शक्तियां मेरी ही है । इतना कह कर माँ ने सभी शक्तियों को
अपने अंदर समा लिया| माँ सिद्धिदात्री ने समुंद्र
मंथन में भी असुरो को भ्रम में डाल कर देवताओं
की मदद की थी । माता इस संसार कल्याण करने
वाली तथा इसको को चलाने वाली है | माँ
सिद्धिदात्री नवरात्रों की अधिष्ठात्री है |
माँ सिद्धिदात्री की आराधना का मंत्र है। ………
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता
। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते । संखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते ||
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